Ashok Thakur

Wednesday 21 March 2018

भारत रक्षा मंच ने जंतर मंतर पर बांग्लादेश घुसपैठ, समान नागरिक संहिता और विवादित मुद्दों को हल के लिए धरना दिया इन समस्याओं का हल भारत सरकार को जल्द से जल्द ढूँढना होगा अन्यथा ये विकराल रूप धारण कर लेगी और फिर देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है और देश के विकास में बड़ी बाधा बन सकती हैं इस धरने में सभी समस्याओं का लोकतान्त्रिक हल निकलने पर जोर दिया गया सभी का सुझाव था कि इन सभी विवादित मुद्दों पर जनमत संग्रह कराना चाहिए ताकि लोगों की राय से समस्या का हल हो जाये हम ये भी जानते हैं कि कांग्रेस, कम्युनिस्ट और दुसरे तथाकथित सेकुलरों को सांप सूंघ जायेगा क्योंकि इससे उनकी झूठ की दुकान का भंडा फूट जायेगा
आज यदि हम घुसपैठ की बात करें तो उसकी गंभीरता का अंदाजा बांग्लादेशी,पाकिस्तानी , तिब्बती और अफ़्रीकीयों घुसपैठियों की संख्या लगभग तीन से पांच करोड़ के आसपास है और बे न केवल देश के अन्दर हिंसा, अस्थिरता, नशा  और आतंक फ़ैलाने में सक्षम हैं बल्कि देश के संसाधनों का पूरी तरह से दोहन भी कर रहे है आज एक तरफ तो हमारे नौजवान पड़-लिखकर बेरोजगार हैं और दूसरी तरफ ये घुसपैठिये रोजगार के अवसरों पर कब्जा जमाए बैठे हैं एक तरफ तो पहले ही देश के अन्दर जनसंख्या का भारी दबाब है और ऊपर से ये घुसपैठीये उसको बढाने का भी काम कर रहे हैं साथ ही चोरी डकैती व हत्या जैसे जघन्य अपराधों में संलिप्त होकर अपराधों का ग्राफ भी बढ़ा रहे है जिससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि पर असर पड़ रहा है इनकी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी है कि ये देश की राजधानी दिल्ली में भी संगठित होकर अपराध करते हैं और किले बनाकर पुलिस को चुनौती देते हैं दिल्ली के भलस्वा डेरी और जहांगीर पूरी के मेरे जमीनी अनुभव बड़े ही कटु हैं और पुलिस को अहसहाय देखकर देखकर और भी निराशा होती है कि आखिर कैसे हम इनपर नियंत्रण पाएंगे अभी कुछ दिन पहले मेरे सामने एक अनुभव सामने जिसमें कुछ तथाकथित बंग्लादेशी मुसलमानों ने एक मंदिर तोड़ दिया और बहां पूजा पाठ कर रहे एकत्रित लोगों को बुरी तरह मारा और दसियों लोग हस्पताल में भर्ती करने पड़े परन्तु पुलिस दंगाईयों को काबू नहीं कर पायी अनेक हिन्दू परिवारों को घर छोड़कर पलायन करना पड़ा और मिडिया के लोग धटना स्थल का दौरा करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे एक नामी ग्रामी पत्रकार तैयार हुए तो उनको जान बचाकर भागना  पड़ा था
दूसरी तरफ पुलिस मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी कर रही थी जो हमारी समझ में नहीं आ रहा था पता करने पर जानकारी मिली कि वे ज्यादातर चोरी, नशे और जघन्य अपराधों में संलिप्त रहते हैं और पुलिस के साथ घनिष्टता के कारण मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी हो रही है आखिर कर मुकदमा तो दर्ज हो गया पर आजतक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई लोग आज भी दहशत में जीने को मजबूर है मेरा इस घटना का जिक्र करने की बजह ये समझाना है कि यदि दिल्ली के ये हालात हैं तो आसाम, बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल में लोगों का क्या हाल होगा इसकी कल्पना भर से हम सिहर उठते हैं आज देश के अंदर ही अपने देशवासी बेघर होने को मजबूर हैं और विदेशी घुसपैठिये उनकी जमीनों पर कब्जा जमाये बैठे हैं उनके  वोटर कार्ड, राशन कार्ड और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ मिल रहे हैं
एक तरफ तो बंगलादेशीओं से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ रोहिंग्या मुसलमानों के प्रति कांग्रेस का प्यार उमड़ रहा है पहले ही कश्मीर में बसाए गये रोहिंग्या देश के लिए खतरा हैं तो म्यांमार से भागे रोहिग्या मुसलामानों को देश में बसाने से आंतरिक तथा बाह्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है रोहिंग्या मुसलामानों के प्रति बर्तमान भाजपा सरकार का रवैया ठीक ही है औरर देश की जनता को उसके साथ खड़ा होने चाहिए
भारत रक्षा मंच ने ये मांग रखी है कि मानव के साथ तो मानवीयता का व्यवहार होना चाहिए परन्तु जो स्वयं अमानवीय हैं ऐसे लोंगों के साथ खडा होना मानवता के प्रति अपराध ही है और जो उनके बुरे बक्त में साथ देने बाले देश के नहीं हुए वो भारत के कैसे हो सकते हैं अत: ऐसे लोंगों को न तो भारत में घुसने देना चाहिए बल्कि घुस आये लोंगों को एक समय सीमा तय करके बाहर करना चाहिय