Ashok Thakur

Saturday 29 August 2020

कोरोना संकट से भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती ज्यादा भयावह हो गई - अशोक ठाकुर

Ashok Thakur 

       

     पिछले अनेक बर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था में अघोषित सुस्ती देखी जा रही है जो कोरोना के द्वारा उत्पन्न परिस्थितियों में और भी गंभीर हो गयी हैं पिछले बर्ष 2019-20 में भारत की विकास दर मात्र 4.2% रह गयी है। और इस वर्ष अर्थात 2020-21 में उसके के नकरात्मक अर्थात शून्य से भी निचे जाने का अनुमान लगाया जा रहा है  और बरोजगारी दर भी लगातार उच्चतम स्तर पर बनी हुई है स्वभाविक है कि ऐसी परिस्थिति में भारत को गरीबी और बरोजगारी की गंभीर समस्याओं से दो-चार होना पड़ेगा | अगर भारत को इस गरीबी और बेरोजगारी के दुश्चक्र से बाहर निकलना है तो उसे अगले अनेक बर्षो तक अपनी विकास दर को 10% से उपर रखना होगा अन्यथा ये समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है  वैसे तो इस विकास दर को हासिल करने के लिए प्क्स्ग-विपक्ष के अनेक राजनेता, आर्थिक सलाहकार, जाने-माने अर्थशास्त्री एव सामाजिक कार्यकर्ता सुझाव रख रहे है इसलिए हमारे जैसे व्यक्ति के लिए सुझाव देना धृष्टता होगी और इस समय सरकार पर आर्थक बोझ बढ़ाने बाले सुझाव देना उसके साथ मजाक जैसा होगा | अत: हमारे सुझाव सीधे और सरल हैं


     सबसे सरल सुझाव को पहले रखना और वैचारक सुझाव अंत मे रखना। हम सीधे सुझाव पर आते हैं । 10) व आयोग क िसफारश के अनुसार पंचायत को िमलने वाली मु रािश का पोिलय उमूलन जैसा सघन चार हो। 2012 म माननीय गोवंदाचाय जी ने क सरकार के सामने मांग रखी थी क क य बजट से 7% रािश सीधे ाम पंचायत को द जाए, ताक वे उह द अिधकार को लागू कर सक । उसके बाद 14 व व आयोग क िसफारश के अनुसार लगभग 2.5 लाख ाम पंचायत को 2015 से 2020 तक के 5 वष म 2 लाख करोड़ पये सीधे दए गए। अथात औसत 80 लाख पये ित पंचायत। यह मु रािश (Untied Fund) थी, अथात क और राय सरकार क मनरेगा जैसी अय योजनाओं के साथ आने वाली रािश के अितर थी। इस रािश को खच करने क योजना पंचायत तर पर बनानी है। 15 व व आयोग क िसफारश म इस रािश के दगुना से ु अिधक होने क संभावना है। अथात 80 लाख के थान पर 1.60 करोड़ ित 5 वष या 30 लाख ित वष। या गांव म इस रािश का सदपयोग दखा ु ? अिधकांश गांववािसय को इस रािश क जानकार ह नहं है ! इस रािश म से 80% से अिधक रािश क और राय के साधार दल के राजनेता, नौकरशाह, सरपंच और पंचायत सदय क जेब म चली गयी है ! अगर इस रािश का पंचायत तर पर सदपयोग हो ु , तो गांव म वकास क वशाल धारा बह सकती है। इस वषय म हमारे के वल दो सरल सुझाव है – I) इस रािश को खच करने क योजना ाम सभा बनाये और ाम पंचायत उसे लागू करे और II) इस रािश के पंचायत को दए जाने का पोिलयो उमूलन जैसा सघन चार हो। अथात हर वष बजट के बाद फरवर म इस रािश के वषय मे मीडया म महने भर पोिलयो उमूलन के कये गए चार क तरह से इस योजना क जानकार का भी सघन चार हो। इस वष यह काय मई या जून म भी हो सकता है। फर देखए चमकार ! 9) क सरकार क योजना – िनगोिशएबल वेयरहाउस रिसट (NWR) का भी पोिलयो उमूलन जैसा सघन चार हो। कसान को उनक उपज का लाभदायी मूय िमल सके, इसिलए अय देश म सफल योग को लागू करने के िलए 2007 म भारत सरकार ने िनगोिशएबल वेयरहाउस रिसट का कानून बनाया और 2010 से वह लागू है। इस कानून के अनुसार कसान अपनी उपज को गोदाम म जमा कराए, गोदाम उसे रसीद दे और उस रसीद पर कसान को बक कज दे। जब उपज का ठक मूय बाजार म िमले, तब कसान गोदाम म जमा अनाज को बेच दे, और बक का कज चुका कर बाक रािश घर ले जाये। योजना बहु त अछ है, पर नौकरशाह के चंगुल म फं सी है। 2011 से 2019 तक इस योजना का उपयोग करके के वल 1,705 करोड़ पये का कज िलया गया ! अथात ऊं ट के मुंह म जीरा ! जब क हर वष लाख करोड़ पये का कज इस के तहत कसान को देकर कसान क लाभदायी आय सुिनत क जा सकती है। अगर क सरकार कसान के हत म ईमानदार है, तो उसे अब भी इस योजना को ठक से लागू करना चाहए। अब डजटल इंडया के जमाने म यह काम बड़ा आसान हो गया है। क सरकार सभी गोदाम को इसके िलए औपचारक अनुमित दे, सभी सरकार बक क शाखाओं को डजटल लेटफॉम पर कसान को िनगोिशएबल वेयरहाउस रिसट पर कज देने का आदेश दे। साथ ह इस योजना का पोिलयो उमूलन क तरह बजट के बाद ितवष 1 महने तक सघन चार करे। कसान का शोषण के गा, कसान को अिधक लाभदायी मूय िमलगे, कसान के हाथ म सह मूय िमलने से ामीण बाजार म यापार बढ़ेगा। उससे देश क वकास दर म अयािशत वृ होगी। 8) दलहन और ितलहन म आमिनभर बनने के िलए गना आद म अतरफसल (Inter Cropping) को बढ़ावा दे सरकार। पछले 20-25 वष म धीरे धीरे भारत खातेल के मामले म आयात पर िनभर होता चला गया और अब हम अपनी आवयकता का 70% खातेल आयात कर रह ह। 2018-19 म भारत ने लगभग 15 िमिलयन टन खातेल आयात कया, जसका आयात मूय लगभग 70 हजार करोड़ पये था। इसी कार पछले 10-12 वष से दलहन के मामले म भी आयात पर िनभरता 25% तक पहुंच चुक है। कृ ष धान भारत क यह दयनीय अवथा अयंत गंभीर है। पछले बजट म क सरकार ने पी सुभाष पालेकर जी क जीरो बजट ाकृ ितक कृ ष को बढ़ावा देने का वादा कया था। वह बहु त अछ पहल होगी अगर वह कृ ष वैािनक और सरकार से जुड़े संघ परवार के कु छ वशेष से पार पा जाए तो ! पालेकर जी ने एक पित को बहु त वकिसत प दया है – गना, कपास, सोयाबीन, फलवृ आद के साथ साथ दलहन – ितलहन, सजी आद को भी उगाना। भारत सरकार उनक इस अतरफसली पित (Inter Cropping) को चारत करके देश को दलहन -ितलहन के मामले म फर से आमिनभर बना सकती है। इसक वशेषता यह है क मुय फसल क उपज म वशेष अंतर नहं आता, और साथ ह अय उपज भी िमल जाते ह। अथात आज जतनी भूिम म उपरो गना आद फसल हो रहं ह, उसी भूिम म उनके बीच अय फसल लगाकर अितर उपादन। पालेकर जी गना खेती के वषय म कहते ह क गने म अतरफसल लेने से, उन अतरफसल से कृ ष क लागत िनकल जायेगी, और गना क उपज शु मुनाफा होगा। अगर इस अतरफसली पित का चार – सार क सरकार सघन प से करती है, उसका वष म एक बार पोिलयो उमूलन जैसा सघन चार मीडया म करती है, तो आने वाले दशक म हम न के वल फर से ितलहन – दलहन म आमिनभर हो जाएंगे, बक अरब पये क वदेशी मुा बचेगी और वह धन भारत के कसान के पास हर वष पहुंचेगा, जससे ामीण बाजार म खपत बढ़ेगी। 7) डेडके टेड ाइट कॉरडोर को 2024 तक पूण करना। भारत सरकार ने यततम रेलवे माग पर ैफक क समया को हल करने और कचे एवं पके माल को शी पहुंचाने के िलए 2006 म पमी और पूव दो डेडके टेड ाइट कॉरडोर बनाने क घोषणा क और 2009 से उस पर काम भी ारभ हो गया। पूव कॉरडोर पंजाब से कलका और पमी कॉरडोर दली से मुबई तक बनाना है। काम ारभ हु ए 10 वष हो गए पर दोन म से एक भी कॉरडोर अभी पूरा नहं बन पाया। अब सरकार ने चार और कॉरडोर बनाने क योजना घोषत क है। दली से चेनई और मुबई से कोलकाता। इसीकार कोलकाता से चेनई और तिमलनाडु से गोवा। इनम से अंितम दो को मेरे वचार म छोड़ देना चाहए। रेलमाग पर अितर बोझ होने के कारण धीरे धीरे मालढुलाई का भार सड़क पर बढ़ता गया। वतमान म 80% मालढुलाई सड़क माग से हो रह है। रेवेमाग से मालढुलाई सती भी है और उसके िलए वदेश से आयात पेोिलयम पर िनभरता भी घटती है। इसिलए डेडके टेड ाइट कॉरडोर भारत के िलए दोहरे लाभ वाला है। इस समय देश को मंद से िनकालने के िलए रोजगार बढ़ाना भी एक अितर काय क सरकार को करना है। इन कॉरडोर का काम पूण करने के िलए के वल इछाश चाहए, इनम न तो तकनीक क कोई समया है और न ह संसाधन। इसिलए हमारा सुझाव है क क सरकार चार डेडके टेड ाइट कॉरडोर बनाने का काम शीता से पूण करने क योजना बनाये। अगर 2021 तक पमी कॉरडोर, 2022 तक पूव कॉरडोर, 2023 तक मुबई – कोलकाता कॉरडोर और 2024 तक दली – चेनई कॉरडोर को पूण कर दया जाने का लय िनधारत करके सरकार काय करती है, तो वह देश के अनेक उोग को मंद से िनकालने म सहयोग करेगा, लाख लोग को रोजगार िमलेगा और इनके पूण होने के बाद पेोिलयम का आयात कम होने से देश का हर वष हजार करोड़ पया बचने लगेगा। इसिलए क सरकार वशेष टाक फोस बनाकर देश के ताकािलक और दरगामी हत के िलए ू 2024 तक 4 डेडके टेड ाइट कॉरडोर पूण करने का सुझाव रख रह ह। 6) देशातगत पेोल आद के भाव थर कर दे सरकार । पछले सुझाव म हमने अगले 4 वष म 4 डेडके टेड ाइट कॉरडोर बना देने क सलाह द है। उठता है क उसके िलए धन कहाँ से आएगा ? उसका पहला उर है पेोल आद के मूय को एक दाम पर थर करके आ सकता है। 2011 से 2014 तक व बाजार म खिनज तेल (Crude Oil) के भाव आसमान पर थे। 2011 म वे 113 डॉलर ित बैरल तक गए थे और 2013 म 111 डॉलर ित बैरल तक ऊपर गए थे। देश के और मोद सरकार के सौभाय से 2015 से 60 डॉलर ित बैरल से नीचे बने रहे। पछले वष वे 60 डॉलर से ऊपर भी गए लेकन 2020 म वे 50 डॉलर के नीचे आ गए और अब तो #कोरोना संकट के कारण पछले 20 वष म अपने यूनयम तर पर पहुंच गए ह। क सरकार के िलए फर यह अछा अवसर है। देश क आम जनता ने पेोल के िलए 80 पये ित लीटर तक पछले वष म चुकाए ह। अब खिनज तेल एकदम सता हो गया है। व म जस मंद के छाने क भवयवाणी क जा रह है, उसके अनुसार अगले 3 वष म खिनज तेल के भाव 50 डॉलर ित बैरल से नीचे ह रहगे। सरकार पेोल – डजल क कमत को 75 या 80 पये ित लीटर पर थर कर दे। तब तक उह थर रखे, जब तक खिनज तेल के भाव 100 डॉलर ित बैरल के ऊपर न जाएं। इसे करने के िलए सरकार को डायनािमक मूय यवथा बनानी होगी। इससे देश को दो महवपूण लाभ हगे। I) क सरकार को मंद से िनपटने के िलए जो जर वकास काय करने ह, उसके िलए पया धन िमल जाएगा और II) पेोल – डजल का मूय 75 या 80 पये लीटर बने रहने से लोग को इलेक वाहन को खरदने के िलए ोसाहत कया जा सके गा, यक तब इलेक वाहन के परचालन का खच पेोल / डजल से कम आएगा। आगे चल कर जब इलेक वाहन क संया बढ़ जाएगी, तो खिनज तेल का आयात भी कम होते जाएगा, जससे देश क अरब पये क बचत होगी। अतः सरकार तकालीन लोकयता क िचंता न करते हु ए देश को दोहरा और दघकािलक लाभ देने के िलए पेोल – डजल के भाव 75 या 80 पये पर थर करने का िनणय शी ले, ऐसा हमारा सुझाव है। 5) 15 लाख पये तक के इलेक वाहन को खरदने के िलए अनुदािनत दर पर 90% कज देने क योजना बनाए क सरकार| सोलर पावर भारत के िलए वरदान बन चुका है और इलेक वाहन वरदान बनने जा रह ह। अभी इलेक वाहन का बाजार भाव पेोल डजल वाहन से डेढ़ से दोगुना है। इसिलए इलेक वाहन क परचालन लागत अिधक आ रह है। पेोिलयम वाहन और इलेक वाहन क परचालन लागत को नजदक लाने के िलए अभी सरकार को कु छ उपाय करने हगे। एक उपाय हमने पछले सुझाव म बताया है क पेोल -डजल के भाव को 75 या 80 पये ित लीटर पर थर कर दया जाए, ताक इलेक वाहन का परचालन मूय उनके नजदक आये। दसरा उपाय ू है इलेक वाहन को खरदने के िलए अनुदािनत दर पर 90% कज देना। इसम दो बात ह – I) अनुदािनत याज दर पर कज देना और II) 90% कज देना। इन दोन कारण से भी इलेक वाहन का परचालन लागत पेोिलयम वाहन के नजदक ला सकते ह। इलेक वाहन क परचालन लागत पेोिलयम वाहन के नजदक आने पर ह लोग इलेक वाहन खरदगे। इलेक वाहन म भी दोपहया, तीनपहया और टैसय को 90% अनुदािनत कज देना देश के िलए अित लाभद रहेगा। इलेक दोपहया – कू टर/मोटरसाइकल और तीनपहया - ऑटो/ रशा का बाजार भाव अब पेोल के दोपहया -तीनपहया वाहन के नजदक आ चुका है। इसिलए इह खरदने के िलए अनुदािनत ऋण देते ह उनक ब बढ़ जाएगी। कार और टैसी के दैिनक परचालन म बहु त अंतर है। सामायतः मेरे अनुमान के अनुसार भारत म जतनी िनजी कार ह , वे दन म औसत 20 कलोमीटर चलती ह, पर टैसी दन म औसत 120 कलोमीटर चलती ह। अथात एक टैसी छह कार जतना पेोल – डजल हर दन उपयोग करती ह। अगर टैसय को यथाशी इलेक वाहन म बदला जाए, तो देश का उतना ह खिनज तेल का आयात कम होगा। अगर देश म अगले 5 वष के अंदर दोपहया, तीनपहया और टैसयां 80% इलेक वाहन के प म बकने लग तो भारत के खिनज तेल के आयात पर िनभरता वतमान 80% से िगर कर 50% से नीचे आ जायेगी। इसके िलए सरकार को के वल एक ह सुझाव है – 15 लाख तक के इलेक वाहन को खरदने के िलए अनुदािनत याज दर पर 90% कज देने क योजना लाना। इसम देशी कं पिनयां ह आगे बनीं रह, इसका भी यान रखना होगा, उसके िलए आगे के सुझाव काम आएंगे। 4) सोलर पावर के सार के िलए फटॉप सोलर पेनस क खरद पर अनुदािनत याज दर पर 90% तक कज देने क योजना घोषत करे सरकार ! सोलर पावर भारत के िलए वरदान बन चुक है। आज कोयले से बजली बनाने क लागत और सोलर पैनल से बजली बनाने क लागत लगभग समान हो चुक है। कोयला से बजली बनाने म मुय लागत है – बजली बनाने के िलए हर समय कोयला चाहए और सोलर पैनल से बजली बनाने म समया है क उससे के बल सूय काश रहते ह बजली बन सकती है। अब सोलर पावर बनाने के िलए लागत समया नहं रह गयी है, बक नौकरशाह ारा क सरकार के िलए बनाई जा रह नीितयां समया बन गयीं ह। जैसे – अब सोलर पैनल लगाने के िलए अलग कार से ससड देने क जरत है, पर अब भी 2010 क परथितय म बनी नीितय के अनुसार ससड द जा रह है। इसीकार फ़टोप सोलर पैनल लगाने के िलए सीमा िनधारत कर द गयी है। आपक घरेलू बजली खपत के 1.5 गुना तक बजली उपादन करने वाले सोलर पैनल के िलए सबिसड िमलेगी। शहर म हरेक परवार के पास छत नहं होती है, और जसके पास छत होती है, उसको अिधक पैनल लगाने के िलए सरकार ससड नह दे रह है। इसकार सोलर पावर के सार म नौकरशाह का अड़ंगा जार है। महने क औसत बजली खपत के 1.5 गुना ह सोलर पैनल लगाने क शत को सरकार को तुरंत हटा देना चाहए, ऐसा हमारा पहला सुझाव है। दसरा जब सोलर पैनल बह ू ु त महंगे होते थे, तब क बनी नीितय के आधार पर अब ससड देना बंद हो और के वल सोलर पैनल लगाने के िलए अनुदािनत याज दर पर 90% कज देने क योजना सरकार घोषत करे। इसम सोलर पैनल क गुणवा के िलए बनाने वाली कं पनी को आईएसओ और जीएमपी जैसे सटफके ट ले लेने पया ह, और उनका कसी सरकार एजसी के पास रजेशन जैसी बायता समा कर देनी चाहए। सोलर पैनल लगाने वाले को के वल बक से संपक करना पड़े, और अय कसी सरकार एजसी के पास ससड के िलए न जाना पड़े। भारत के िलए वरदान बन चुके सोलर पावर से अगले 10 वष तक लाख रोजगार बन सकते ह, बस सरकार उसे नौकरशाह के चंगुल से छुड़ा दे और सोलर पेनस के िलए अनुदािनत याज दर पर 90% कज देने क योजना घोषत करे, ऐसा हमारा सुझाव है। 3) भारत क आिथक, रणनीितक आवयकताओं के अनुकू ल आयात शुक का पुनिनधारण करे क सरकार! चीन ने पाकतान के साथ ‘आल वेदर डिशप’ क सावजिनक घोषणा क है, उसी के अनुकू ल वह आिथक और रणनीितक सहयोग भी पाकतान को दे रहा है। पाकतान म बैठे अनेक आतंकवाद इसिलए सुरत ह, यक चीन संयु रा संघ (UNO) म उह आतंकवाद घोषत करने के ताव को वीटो कर देता है। अगर पाकतान के साथ चीन क ‘सभी परथितय म मैी’ है तो फर उसके भारत के साथ कै से संबंध होने चाहए ? अवय ह भारत के िलए चीन सबसे बड़ा खतरा बना हु आ है। लेकन गत 10 वष म भारत का चीन से आयात बढ़ते गया है, और उस हसाब से भारत का चीन को िनयात नहं बढा है। गत 5 वष म आयात िनयात म अंतर औसत 50 बिलयन डॉलर ितवष रहा है। अथात हम गत 5 वष से चीन को जतना िनयात कर रह ह,उसक अपेा चीन से हर वष 3 लाख करोड़ से 3.5 लाख करोड़ पये का आयात अिधक कर रहे ह। भारत से मुनाफा कमा कर चीन उस पैसे से पाकतान क मदद कर रहा है। इसम अनेक ऐसी वतुएं ह, जनका भारत मे भी उपादन हो सकता है। पर क सरकार का भारतीय उोग को जो सहयोग िमलना चाहए था, वह नहं िमला है। उटे क सरकार ने आिसयान से मु यापार समझौता करके चीन का साथ दया है। हमारा आिसयान से मु यापार समझौता है, और आिसयान का चीन के साथ ! अतः अब अनेक कार क चीन म बनी वतुएं बना आयात शुक लगे ह आिसयान के राते भारत म आयात होने लगीं ह। इसका सबसे बढ़या उदाहरण है सोलर पेनस और सोलर सेस। भारत म 90% सोलर पेनस और सोलर सेस चीन और आिसयान देश से आयात हो रह ह, जबक उह सरकार के अप सहयोग से भारत म अनेक कं पिनयां बना सकती ह। अगर चीन का पाकतान हर मौसम का दोत है, तो फर लोकतांक देश होने के कारण भारत के िलए अमेरका भी ‘वाभावक िम’ देश है। वैीकरण के इस युग म वदेश संबंध भी वदेश यापार पर अिधक आधारत होते ह। चीन के पाकतान का दोत होने के बावजूद उससे अयिधक आयात होता रहे और अमेरका वाभावक िम होते हु ए उससे कम आयात होता रहे, यह अिधक समय तक नहं चल सकता है। अतः भारत को ऐसी आयात नीित बनानी होगी जो चीन के खलाफ जाए, और अमेरका के प म जाये। अमेरका के प म जाएगी, तब ह हम चीन के खलाफ जाने वाली आयात नीित को लागू कर पाएंगे। इसके िलए भारत को अगले दशक क रणनीित के तहत जापान क तरह ह अमेरका से मु यापार समझौता कर लेना चाहए और अगर हो सके तो सवस सेटर के बहाने आिसयान से मु यापार समझौता समा कर देना चाहए। अमेरका से मु यापार समझौता करते ह सोलर पेनस, सोलर सेस, मोबाइल हडसेस, लैपटॉस, अय इलेॉिनक सामान, दवाओं का कचा माल, िलिथयम बैटर, िलिथयम सेस, वाहन और वाहन के कलपुज आद पर आयात शुक बढ़ा देना चाहए। यह आयात शुक 30% से 60% तक रखा जा सकता है। इतना आयात शुक होते ह चीन से आयात महंगा हो जाएगा और अनेक उपाद भारत मे बनाने के िलए फै टरयां लगने लगगी। चूंक अमेरका से मु यापार समझौता कर िलया होगा, इसिलए अय कसी के ारा इस बढ़े आयात शुक का वरोध िनभ ह रहेगा। अमेरका के साथ मु यापार समझौता और फर अनेक वतुओं के आयात शुक म भार वृ के अलावा भारत के आिथक वकास का और कोई राता दख नहं रह है। अगले दशक के अनुभव के बाद उसके पात रणनीित बदली जा सकती है। 2) जीएसट म उपभोा वतुओं क दर को डायनािमक करे क सरकार ! 5 हजार पये के मोबाइल हडसेट पर भी 18% जीएसट और 1 लाख के मोबाइल हडसेट पर भी 18% जीएसट ! या आपको यायपूण और तक संगत लगता है ? मुझे उपभोा के साथ हो रहे अयाय और सरकार को िमल सकने वाले राजव म हो सकने वाली वृ से हाथ धोना, दोन से असंगत लगता है। सरकार ने टवी सेट पर एक कार क डायनािमक जीएसट लगाई है, पर वह भी मुझे पूण प से तक संगत नहं लगती है। 32 इंच तक के टवी सेट पर 18% और उससे बड़े टवी सेट पर 28% जीएसट ! इसम अगर कोई 32 इंच से बड़ा टवी सेट 20 हजार म बक रहा हो तो भी 28% जीएसट लगेगा और कोई 32 इंच से बड़ा टवी सेट 2 लाख म बक रहा हो तो भी उस पर 28% ह जीएसट लगेगा ! यह डायनािमक जीएसट दर भी पूण तक संगत नहं है। जीएसट क दर को पूण डायनािमक बना कर अिधक यायपूण और तक संगत बनाने का हमारा सुझाव है। इससे गरब पर जीएसट का कु छ बोझ भी कम होगा, वतुओं क कमत को कम रखने का भी कं पिनयां पर दबाव बनेगा, उपभोावाद पर कु छ िनयंण लगेगा और सरकार को भी अिधक राजव िमलेगा। इसम हमारा एक सीधा सुझाव है, ऐसी अनेक उपभोा वतुएं ह, जन पर कमत के आधार पर जीएसट क दर को रखा जाना अिधक तक संगत होगा। हम सुझाव दे रह ह क ऐसी उपभोा वतुओं म 10 हजार तक क वतु पर 12% जीएसट, 10 से 20 हजार तक क वतु पर 18% जीएसट और 20 हजार से अिधक कमत क उसी वतु पर 28% जीएसट लगाने का िनयम बने। 10 हजार तक मोबाइल या टवी या कू लर या ज गरब आदमी खरदेगा, 10 से 20 हजार तक मोबाइल या टवी आद मायम वगय य खरदगे, पर 20 हजार पये से अिधक मूय के मोबाइल आद सपन य ह खरदगे। आिथक मता और वतु के मूय के हसाब से सरकार को जीएसट दगे। ऐसी जीएसट क डायनािमक दर देशी और मयम तर क कं पिनय को भी एक कार का संरण दगी। इस कार क पूण डायनािमक जीएसट कन कन वतुओं पर लगा सकते ह, इसका वचार करके सरकार ऐसी पूण डायनािमक जीएसट यवथा लागू करके जीएसट को अिधक यायपूण और तक संगत बनाये, और वकास काय के िलए अिधक राजव ा करे, ऐसा हमारा सुझाव है। 1) पये को उसके वातवक मूय तक िगरने देने क यवथा करे क सरकार ! जनवर 2020 म पये का बाजार भाव (Market Value) उसके वातवक भाव (REER – रयल इकनोिमक एसचज रेट) से लगभग 120% था। अथात पया रजव बक ारा िनकाले गए वातवक मूय से बाजार म 20% महंगा बक रहा था। तब बाजार म लगभग 70 पये म 1 डॉलर था, पर वह अपनी वातवक मूय से 20% महंगा था। इसका मतलब जानते ह आप ? इसका एक सीधा मतलब है – िनयात पर एक कार से अय 20% शुक लग रहा था और आयात को अय 20% ससड िमल रह थी। दोन ह कारण से भारत के उोग – यापार पर चोट हो रह थी और दसरे देश को लाभ हो रहा था। इन दोन कारण से देश मे रोजगार घट रहा ू है और वदेश म हम रोजगार बढ़ाने म सहयोग कर रह ह। फर भारत सरकार य पये को महंगा बकने देकर देश क अथयवथा को संकट म डाल रह है ? ऐसा नहं है क विस भारतीय अथशाय ने सरकार को अनेक बार चेताया नहं है। 2015 से ह तब रजव बक के गवनर रहे रघुराम राजन व म एक नए कार के मुा यु ( Currency War) का ईशारा दे रहे थे। उसके बाद भी अशोक पनगढ़या, शंकर आचाय, अरवंद सुमयम आद व िस अथशाी पये के मजबूत होने से िनयात को हो रहे नुकसान के िलए अनेक बार सरकार को चेताने वाले लेख िलख चुके ह। पर सरकार क मानिसकता पर शायद संघ परवार से जुड़े कु छ वचारक क वह सोच हावी है – ‘पया मजबूत तो देश मजबूत !’ इस मानिसकता ने पये के बढ़ते – िगरते मूय को राीय वािभमान से जोड़ दया है। व के अनेक देश के अनुभव देखकर िनणय लेने क जगह पर, वे अपने इस िसांत को उसी तरह अपनाए हु ए ह जैसे मृत बचे को जैसे बंदरया छाती से िचपकाए रहती है। देश को हो रहे नुकसान से आंख मूंद कर क सरकार पये के अिधक न िगरने को अपनी उपलध मान कर आममुधता म िल है। इसम जापान और चीन के दो उदाहरण हमारे सामने ह। 1985 आते आते जापान व बाजार पर छाने लगा था। पर तभी अमेरका के दबाव के आगे झुकते हु ए जापान ने अपनी मुा को मजबूत कर दया। समझौते के तहत एक ह झटके म 250 येन म 1 डॉलर से बढ़ाकर 150 येन म 1 डॉलर कर दया गया। अथात जापान क मुा को 40% मजबूत कर दया गया। उसका परणाम हु आ क जापान क अथयवथा धीरे धीरे टैगलेशन म चली गयी और जो जापान व बाजार पर कजा कर लेगा ऐसा लग रहा था, उसी क अथयवथा उसक मुा के मजबूत हो जाने के कारण भंवर म फं स गई। दसर तरफ चीन का उदाहरण है। चीन क मुा युवान को चीन ने ू 1981 से धीरे धीरे िगरने दया। 1981 म 1.51 युवान म 1 डालर था, 2010 आते आते 9 युवान म 1 डॉलर हो गया। अथात चीन क मुा 1981 से 2010 तक 600% िगर गयी। पर परणाम या हु आ ? इहं 30 वष म चीन उभरते उभरते दिनया क फै टर बन गया। उपरो दो उदाहरण भा ु रत को सह िनणय लेने म मागदशन करने के िलए पया ह। आधुिनक वैक अथतं म अथशा म वीकृ त मानक पर यापार चलता है। मुाओं का विनमय भी उहं वीकृ त मानक पर आधारत है। ऐसा नहं हो सकता क अथशा के बाक सभी मानक को मानते चल, पर मुा को अपने मानक पर चलाने का य कर। जब परणाम से िस हो रहा है क ऐसा करना अथयवथा के िलए घातक हो रहा है, उसके बाद भी उसे लागू कये रहना आमघाती ह माना जायेगा। ऊपर देश क वकास दर को औसत 10% बनाये रखने के िलए जो अय 9 सुझाव बताए ह, उनसे हु आ लाभ कु छ ह वष म चौपट हो जाएगा, जैसे पछले 20 वष का लाभ पछले 6 वष म मुा के मजबूत होने से हो रहा है। अतः सरकार को हमारा सुझाव है क वह पये को उसके वातवक मूय (REER) तक िगरने देने क रणनीितक नीित और यवथा बनाये, जससे देश का िनयात बढ़कर और आयात घटकर देश क वकास दर छलांग लगाए। (पये को वातवक मूय तक िगरने देना, कै से देश क अथयवथा के हत म है, इसे पहले एक वतं लेख म सबके समुख रखा है।) यहां पर हमने क सरकार को 10 सुझाव दए ह। हमारा अययन के आधार पर िनकष है क अगर इह लागू कया गया तो अगले 10 वष तक देश क वकास दर को औसत 10% बनाये रखने म परम सहयोगी हगे। इन सुझाव क वशेषता हमने पहले ह बताई है क न तो ये वदेशी िनवेश पर अवलबत सुझाव ह और न ह क सरकार के बजट पर अितर बोझ डालने वाले ह। उटा कु छ सुझाव क सरकार का राजव बढ़ाने म सहयोग करने वाले ह। ये सुझाव हमारे ह, हमारा यह दावा नहं है क इस देश मे सोचने क मता के वल हम म ह है, और न ह हमारा आह है क के वल हमारे ह सुझाव पर वचार हो। अय लोग भी क सरकार को सुझाव दे रहे हगे, उन पर भी वचार करना क सरकार का अिधकार है। हमने तो के वल वतमान म देश क अथयवथा के समुख खड़ वपरत परथितय पर वचार करने से मन म कु छ सुझाव आये, तो उह सबके सामने रख देने को अपना राीय कतय मान कर उह रख दया है।