Ashok Thakur

Sunday 12 August 2018

एक तरफ कांग्रेस का आजादी दिलाने का दावा.. दूसरी तरफ कश्मीर की आजादी की मांग और घुसपैठियों का समर्थन - अशोक ठाकुर  

     कांग्रेस के नेता हर मंच से ये दावा करते हैं कि देश को उनकी पार्टी ने आजादी दिलाई है और उनकी पार्टी ने देश के लिए बलिदान दिए हैं | तब मुझे याद आता है कि नेहरु के प्रधानमंत्री काल में भारतीय फुटबाल टीम विश्व कप में इसलिए शामिल नहीं हो पायी क्योंकि भारत सरकार के पास उनके जूते एवं खिलाडियों की वर्दी के लिए संसाधन नहीं थे परन्तु देश के लोग शायद ये नहीं जानते कि उसी दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरु के कपडे जहाज से पेरिस धुलने जाते थे ऐसे ही अनेक किस्से इंदिरा गाँधी और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के भी सुनने को आते हैं राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के क्रिया-कलापों  में उनकी सामंतवादी सोच स्पस्ट झलकती है एक कांग्रेसी नेता का आहात होकर केवल इसलिए पार्टी छोड़ना कि राहुल गाँधी ने उनको अपने कुते से कम अहमियत दी इसका प्रमाण है अर्थात जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी गरोब देश के अमीर प्रधानमंत्री थे शायद इतने अमीर कि उनका प्रधानमंत्री पद स्वीकार करना तक देश की जनता पर बड़ा एहसान था और उनको लगता है कि ये उनका देश के लिए बड़ा बलिदान था कि उन्होंने गरीब देश का प्रधानमंत्री होना स्वीकार किया और पेरिस एवं इटली छोड़कर यहाँ गरीब देश में रहना स्वीकार किया भले ही उनकी आत्मा आज भी वहीं बसती हो
आजादी के आन्दोलन में भी इतने आमिर लोंगों का शामिल होना ही बड़ा त्याग है शायद उसी कारण सरदार बल्लभ भाई पटेल के सामने एक भी वोट नहीं मिल पाने के बाबजूद वे आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बन गए इस परिप्रेक्ष में आज के कांग्रेसी नेताओं का त्याग और बलिदान का नारा लाजमी लगता है लेकिन में अब  कांग्रेस के कर्णधारों से एक सवाल जरुर पूछना चाहूंगा कि आज कांग्रेस के कौन ऐसा नेता है जिसने देश की आजादी के आन्दोलन में भाग लिया है और आजादी के बाद कौन सा एक काम किया जो देश की एकता और अखंडता को अक्षुण रखने में सहायक सिद्ध हुआ हो आखिर वे आजाद भारत में गोवा, दमन द्वीप को शामिल करने के इच्छुक क्यों नहीं थे  बेरुवाड़ी और कच्छ पकिस्तान को देने के लिए क्यों तैयार हो गये कच्छ पर तो पिछली मनमोहन सिंह सरकार का रुख भी आश्चर्यजनक था राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ एवं जनसंघ के कार्यकर्ताओं के संघर्ष एवं बलिदान का ही परिणाम है आज कश्मीर, गोवा, दमन द्वीप, बेरूवाड़ी और कच्छ भारत का अभिन्न हिस्सा हैं | जवाहर लाल नेहरु का तिब्बत की भूमि को बंजर कहकर छोड़ देना या नेपाल और बर्मा के प्रस्तावों पर गलत रुख का परिणाम आज तक देश भुगत रहा है | |

कांग्रेस के नेता सैफुदीन सोज़ ने तो खुले आम कश्मीर की आजादी का राग छेड़ दिया भले ही कांग्रेस ने उसे उनका निजी ब्यान कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया हो परन्तु कांग्रेस ने उसका विरोध भी नहीं किया है बल्कि कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार पी चिदंबरम ने भी कश्मीर की स्वायत्ता की बकालत की है | गुलाम नबी आजाद ने झूठे आकड़ों के आधार पर सीधे सेना की करवाई पर ही सबाल खड़े कर दिए हैं | इससे पहले दिल्ली की मुख्यमंत्री के बेटे और कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने तो सेना प्रमुख को सड़क का गुंडा तक कह  डाला है मेरा कांग्रेस के युवराज से सवाल है कि आखिर उनकी पार्टी किस-किस के ब्यान से पल्ला झाड़ेगी मणिशंकर अय्यर तो नरेंद्र मोदी सरकार को हटाने के लिए पाकिस्तान से मदद लेने के लिए इस्लामाबाद पहुंच गए थे और गुजरात के चुनाव के दौरान पाकिस्तानियों  को भारत बुलाकर उनसे मदद मांग रहे थे भले ही उनको कांग्रेस ने आनन-फानन में सस्पैंड कर दिया था परन्तु पार्टी से आजतक पार्टी से निकाला नहीं और वापिस पार्टी में शामिल कर लिया है | कठुआ रेप कांड में तो गुलाम नवी आजाद के चुनाव एजेंट ने न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास किया और कांग्रेस के नेताओं ने उसपर कारवाई करने की बजाय विपक्ष के साथ मिलकर भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बदनाम करने की कोशिश की थी दुनिया को शांति और भाईचारे का सन्देश देने बाली हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है |

    इसी प्रकार JNU के अंदर भी देश विरोधी नारे लगाने और सर्वोच्च अदालत को अफजल का कातिल कहने बालों के मामले में राहुल गाँधी विना सोचे समझे उनके साथ खड़े होना गंभीर मामला है आखिर जो भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्हाह-इंशा अल्हाह के नारे लगा रहे थे कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने तो सार्वजनिक मंचों और चैनलों पर खुलेआम उनका समर्थन क्यों किया और उसके बाद कोरेगाँव हिंसा में पकडे गये अर्बन नक्सलियों के खुलासे पर तो कांग्रेस सीधे कटघरे में हैं | देश की आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा के मुद्दे पर भी कांग्रेस की नीती स्पस्ट नहीं है और वो कहीं न कहीं अस्थिरता फैलाने बालों के साथ खड़ी नजर आती है | उनके नेताओं के ब्यान भी इसकी पुष्टि करते हैं जिनका पार्टी की तरफ से कभी खंडन भी नहीं आता है अधिक से अधिक कांग्रेस पार्टी निजी ब्यान कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास करती है जोकि उचित नहीं है |

     एक बार फिर NRC के मुद्दे पर कांग्रेस की देश विरोधी सोच सामने आई है रोहिग्या मुसलमानों को देश से बाहर भेजने के सरकार के निर्णय पर छाती पीटने बाली कांग्रेस खुलेआम NRC के मामले में भी घुसपैठियों के पक्ष में खड़ी हो गयी है | आज देश के अक अनुमान के अनुसार लगभग 5 करोड़ घुसपैठिये हैं | जो अबैध तरीके से भारत में रह रहे हैं यहाँ के संसाधनों को उपभोग कर रहे हैं और जनसँख्या का दबाब झेल रहे देश के युवाओं के रोजगारों का हनन कर रहे हैं | आखिर हमें ये बात तो समझनी ही होगी कि देश के संसाधन सीमित हैं | क्या उनपर देश के नागरिकों का अधिकार है या मानवता के नाम पर विदेशियों को उनका उपभोग करने की खुली छुट दी जा सकती है चाहे हमारे नौजवान खड़े होकर तमाशा क्यों न देखते रहें | परन्तु दुर्भाग्य से कांग्रेस के नीतियों के कारण ऐसा होता आया है और आज जब माननीय उच्चतम न्यायालय की निगरानी में असम के अन्दर लगभग 40 लाख अबैध लोंगों के पहचान हुई है तो कांग्रेस देश के साथ खड़ा होने की बजाय घुसपैठियों के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही है और भाजपा विरोध के अति उत्साह में माननीय उच्चतम न्यायालय को भी कठघरे में खडा करने का प्रयास कर रही है |
    आजादी के समय कश्मीर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के रुख से से लेकर आज बंगलादेशी घुसपैठियों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी तक का रुख समझ से परे है | मुझे लगता है देश की युवा पीढ़ी को अब कांग्रेस से सवाल जरुर पूछना चाहिए कि आखिर 70 साल देश पर शासन करने बाली कांग्रेस पार्टी देश की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के मामलों में किसके साथ खड़ी है | देश की सीमायों पर कांग्रेस का क्या रुख है क्या कांग्रेस देश के घुसपैठियों के साथ खड़ी है या घुसपैठियों के खिलाफ खड़ी है आज देश के अन्दर नक्सलियों और अस्थिरता फैलाने बालों का समर्थन देने बाले बुद्धिजीवी बर्ग पर कांग्रेस का क्या पक्ष है क्या देश को तोड़ने की बात करने बालों की ही अभिव्यक्ति की आजादी जरूरी है या उनका विरोध करने बालों की भी अभिव्यक्ति की आजादी होना चाहिए इन सब बिषयों पर अब कांग्रेस का रुख स्पस्ट होना चाहिए  


फिटनेस अच्छी सेहत के लिए है .. राजनीति के लिए नहीं-अशोक ठाकुर 



केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने लोगों को फिट रखने के लिए एक मुहिम शुरु की है। उन्होंने ट्वीटर पर एक वीडियो अपलोड किया है। इस वीडियो में वह अपने दफ्तर में व्यायाम करते दिखाई दे रहे हैं। हम फिट तो इंडिया फिट हैशटेग से उन्होंने फिटनेस चैलेंज शुरु किया है। चैलेंज के लिए राठौड़ ने लोगों से व्यायाम करते हुए अपना-अपना वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी करने की अपील की है। उनका कहना है कि ऐसा करने की प्रेरणा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली है। प्रधानमंत्री के लगातार देश की जनता के लिए काम करने की सक्रियता से प्रेरित राज्यवर्धन कहते हैं कि प्रधानमंत्री में जबरदस्त ऊर्जा है। प्रधानमंत्री दिन-रात लगातार काम करते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर चाहता हूं सभी लोग अपना व्यायाम करते हुए वीडियो बनाए और दूसरों को प्रेरित करें। हम सब स्वस्थ रहें, इस ध्येय को लेकर ही मैंने इस मुहिम को शुरु किया ।
महात्मा गांधी हमेशा अरस्तु के इस कथन से कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन निवास करता है, लोगों को स्वस्थ और स्वच्छ रहने की प्रेरणा देते थे। महात्मा गांधी ने स्वस्थ रहने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा और संयम से जीने का मंत्र दिया। गांधीजी कहते थे कि स्वस्थ वहीं है जिसे कोई बीमारी न हो। उन्होंने लोगों को ज्यादा से ज्यादा पैदल चलने की प्रेरणा दी। स्वच्छ रहने के साथ ही उन्होंने शरीर को सही रखने के लिए सप्ताह में एक दिन उपवास करने और शाहाकारी बनने के लिए लोगों को मंत्र दिया। गांधी जी कहते थे कि दिन में इतना परिश्रम करें कि रात को लेटते ही नींद आ जाए। परन्तु महात्मा गाँधी की ये सोच आज की कांग्रेस की सोच के एकदम विपरीत है यदि आज ये वात कही होती तो शायद उनको सांप्रदायिक और दकियानूसी सोच बाला कहा गया होता 
ओलम्पिक में रजत पदक हासिल करने वाले राज्यवर्धन ने स्वस्थ रहने के लिए लोगों को हम फिट तो इंडिया फिट मुहिम चलाई है। अपनी मुहिम के लिए उन्होंने विराट कोहली, रितिक रोशन और सायना नेहवाल को चैलेंज दिया था। उनके चैलेंज को स्वीकार करते हुए विराट कोहली ने कसरत की और मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए महेंद्र सिंह धोनी, अपनी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चैलेंज दिया। विराट ने लिखा भी कि ”मैं राठौर सर का दिया फिटनेस चैलेंज स्वीकार करता हूं। अब मैं ये चैलेंज अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा, हमारे पीएम नरेंद्र मोदी और धोनी भाई को देता हूं। विराट कोहली की इस पहल पर सबसे पहले पीएम मोदी का ट्वीट आया और उन्होंने लिखा कि विराट का चैलेंज स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि विराट का चैलेंज स्वीकार है। मैं जल्द ही वीडियो के जरिए अपना फिटनेस चैलेंज शेयर करूंगा। राज्यवर्धन सिंह की इस मुहीम को हमारे युवा खिलाडियों और अभिनेताओं का अच्छा समर्थन मिला और कांग्रेस की विरोध की बाद अच्छा प्रचार भी मिला हमें इन सभी युवराजों का धन्यावादी होना चाहिए जिनके नकरात्मक विरोध से भी सकरात्मक परिणाम निकला और इस मुहीम को अपेक्षा से अधिक प्रचार मिला इसलिए यहाँ ये कहावत चरितार्थ होती है कि "मुदई लाख बुरा चाहे पर होता बही है जो मंजूरे खुदा होता है" |
कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह चैलेंज स्वीकार करना नहीं भाया और राहुल गांधी ने फिटनेस मंत्र पर राजनीति शुरु कर दी है। अपने को महात्मा गांधी का अनुयायी बताने वाले कांग्रेस के नेता राज्यवर्धन की लोगों को स्वस्थ रखने की मुहिम से पता नहीं क्यों इतने परेशान हो गए हैं ? राहुल गांधी ने हम फिट तो इंडिया फिट’ चैलेंज अब राजनीतिक चैलेंज में तब्दील कर दिया। राहुल गांधी ने कहा कि “मुझे यह देखकर खुशी हुई कि आपने विराट कोहली का चैलेंज मंजूर किया। एक चैलेंज मेरी तरफ से भी। पेट्रोल-डीजल के दाम घटाएं, नहीं तो फिर कांग्रेस देशभर में आंदोलन करेगी और आपको ऐसा करने के लिए मजबूर करेगी परन्तु ऐसा करते बक्त बे भूल गए की अनेक राज्यों में उनकी सरकार भी काम कर रही है जो पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने को तैयार नहीं है जोकि देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले ज्यादा है | राहुल गांधी को राजनीति करने के लिए केवल आलोचना ही नहीं करनी चाहिए बल्कि होना तो यह चाहिए था कि देश के लोगों को जागरूक करने के लिए कांग्रेस के नेताओं को प्रधानमंत्री और खेलमंत्री की इस पहल का स्वागत करते । महात्मा गांधी जानते थे कि गांवों और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब लोग रोजी-रोटी के लिए दिन-रात परिश्रम करते हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता का ध्यान नहीं रहता है। इसीलिए उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा पर जोर दिया, लोगों को संयमित जीवन का मंत्र दिया और लोंगों को स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित किया । परन्तु कांग्रेस की आज की पीढ़ी इस पहल के महत्व को न समझ सकी परन्तु भाजपा ने इस मन्त्र के महत्व को समझा 
हमारे देश में स्वस्थ रहने के लिए जागरुकता बढ़ी है। हर शहर में सुबह-शाम पार्कों में सैर करने वालों और स्वच्छता के आग्रह करने बालों की संख्या बढ़ी है। लोगों की योग और ध्यान में लगातार दिलचस्पी बढ़ी है। दफ्तरों में भी फिट रहने के लिए जिम बनाए गए हैं। भागदौड़ की जिंदगी में लोग स्वस्थ रहे इसके लिए बार-बार जागरूकता बढ़ाई जा रही है। हम देख रहे हैं कि भागदौड़ की जिंदगी में युवा बीमार हो रहे हैं। युवाओं में मधुमेह और दिल की बीमारी बढ़ी है। हाल ही में 13 साल के एक बच्चे की मधुमेह से मौत हो गई। ऐसे हालातों में स्वस्थ रहने के लिए अगर खेल मंत्री स्वस्थ रहने का मंत्र दे रहे हैं तो इसमें आलोचना की करने का क्या बात है? राहुल की देखादेखी उनकी पार्टी के युवा तुर्क, समाजवादी पार्टी के अखिलेश एवं राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव भी राजनीति करने लगे। युवा नेताओं का तमगा लगाने वाले इन नेताओं को कम से कम सेहत के मुद्दे पर तो राजनीति नहीं करना चाहिए। लगता तो यही है कि गांधी जी के नाम पर राजनीति करने वाले कांग्रेस के नेता उनके स्वस्थ रहने के मूलमंत्र को भूल गए। राहुल गांधी आप भी रोज़ाना व्यायाम करें ताकि स्वस्थ शरीर के साथ आपका मस्तिष्क भी स्वस्थ रहे। देश की सेहत के लिए यह बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए भी हो रहा है कि एक तरफ से संघर्ष से सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने बाले लोग हैं और दूसरी तरफ राजपरिवारों के युवराजों की फ़ौज है जिनको सत्ता सोने की थाली में परोसकर मिली है अत: राहुल गाँधी, अखिलेश यादव, ज्योतिन्द्र सिंधिया, सचिन पायलेट, उधव ठाकरे, चंद्रबाबू नायडू और तेजस्वी यादव जैसे युवराज जमीन से भुत दूर हैं | इन मुद्दों के बारे में उनकी समझ कम होना स्वभाविक है