Ashok Thakur

Friday 8 July 2011

दलालों की सरकार

राहुल कहते हैं की उत्तर प्रदेश में दलाल चला रहे हैं सरकार |
कौन वताय की दिल्ली में तो सारे दल्ले ही हो गये हैं सरकार ||
कुछ राजा, कनिमोरी, कलमाड़ी साहब तो आ चुके हैं तिहाड़ |
वाकी मारन, चिदम्बरम और सिबल लगभग बैठे हैं त्यार ||
मियां जरा अपनी माता श्रीमती सोनिया का तो कर लो ख्याल |
तुम्हारी कुर्सी के चक्कर में सरदार का न हो जाये दिमाग ख़राब ||
समझ लेना फिर तुम्हारा और तुम्हारे चमचों का क्या होगा हाल |
क्योंकि विदेशी बैंकों में तुम्हारा भी भरा पड़ा है अथाह माल   ||

Thursday 7 July 2011

राहुल का राजनितिक स्टंट या गरीबों का मजाक

           आजकल राहुल उत्तर प्रदेश के कि गरीबों व किसानों के बड़े हमदर्द बने हुए हैं और उनकी गरीबी व शोषण को लेकर काफी चितिंत हैं और चिंता इतनी ज्यादा है कि उनको शारीरिक व मानसिक रूप से काफी कमजोरी आ गई है यहाँ तक की उनकी याददास्त भी काफी कमजोर हो गयी है नहीं तो उन्हें ये जरुर याद होता की वे कुछ वर्ष पहले विदर्भ के एक किसान के घर पुरे मिडिया के लावलश्कर के साथ गए थे और सारे देश ने यह तमाशा देखा था और बाद में बही किसान गरीवी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हुआ था  उसकी गरीबी तो दूर नहीं हो सकी पर उसकी गरीबी का तमाशा जरुर बन गया | ऐसे अनेक उदहारण हैं जहाँ गरीबों व दलितों की झोंपड़ी व दयनीय स्थिति को कांग्रेस के राजकुमार के प्रचार के लिए तमाशा बनाकर पेश किया जा रहा है आखिर देश जानना चाहता है कि आज तक ६४ साल तक यह गाँधी खानदान के प्रतिनिधित्व के वावजूद अमेठी व रायवरेली के गरीबों की गरीबी क्यों दूर न हो सकी तथा वह उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से क्या अलग कर सका आज भी मैडम व उनके सुपुत्र को वहां अत्यंत गरीब तमाशा बनाने के लिए मिल जाते हैं केंद्र व कांग्रेस शासित राज्यों में गरीबों की हालात क्या उत्तर पदेश से ज्यादा अच्छे है और अगर नहीं हैं तो राजकुमार साहब ने इनके लिए कुछ क्यों नहीं किया आखिर वहां उनको कौन रोक रहा है नॉएडा से भी नजदीक गुडगांब में उनके प्रिय मुख्यमंत्री हुड्डा साहब ने हड्सरू के किसानों की जमींन कोडियों के भाव सरकारी आवश्यकता वता कर छीन ली थी और आगे दलालों की तरह रिलायंस को बेच दी थी जिसमें भारी पैसे का लेनदेन हुआ था और कुलदीप विश्नोई हिस्सा न मिलने से खफा होकर पार्टी छोड़ गए थे वहां विरोध करने पर किसानों पर जो अत्याचार हुए उनके सामने तो भट्टा परसौल कुछ भी नहीं है क्यों न हरियाणा में पिछले पांच बर्षों के भूमि अधिग्रहण की जाँच स्वतंत्र आयोग से करबाई जाये | केंद्र ने ये जानते हुए भी की भूमि अधिग्रहण कानून का दुरूपयोग हो रहा है परमाणु करार की ही तरज पर इस कानून में भी बदलाब क्यों नहों किया गया और कांग्रेस के राजकुमार दिल्ली से बहार तो उछलकूद करते हैं और घर आकर अपनी मम्मी से डरकर चुप बैठ जाते हैं तो ईमानदारी पर प्रश्न उठाना सभाविक ही है क्योंकि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि हम क्या कहते है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि हम व्यवहार में करते क्या हैं
          उमा जी ने ठीक ही कहा है कि उत्तर प्रदेश में नाटक करने से अच्छा तो ये है कि पहले दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री व अपनी मम्मी को समझा कर अंग्रेजों के बनाये भूमि अधिग्रहण के काले कानून को समाप्त कर नया कानून लायें जो किसानों के हितों की भी सुरक्षा करता हो | क्योंकि बह ज्यादा आसानी व ईमानदारी से किया जा सकता था और अपनी बात को अमल में लेट हुए कांग्रेस शासित राज्यों जैसे कि हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान व आन्ध्र आदि में उनकी सरकार द्वारा वेची गयी जमींन को किसानों को वापस दी जाये और उनकी महाराष्ट्र, आंध्र व अन्य कांग्रेस शासित राज्यों कि सरकारों के नाक तले मर रहे किसानों की सुध लें | किसानों को लेकर बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के सुझाबों पर बातें नहीं बल्कि अमल करें जोकि देश के लिए समय कि जरूरत और देशवासियों की मांग है इसी से देश के गरीबों व किसानों का भला भी संभव है |
        अन्यथा राजकुमार साहब ये समझ लें की अब लोग उतने नासमझ नहीं हैं जितने की उनकी दादी के समय थे और वे सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मिडिया के कुछ दलों के साथ मिलकर क्या खेल खेल रही हैं इन नाटकों जैसे कि हाथ में बच्चा पकड़ाकर फोटो खींचवाना और गरीब कि झोंपड़ी में बैठकर पांच सितारा होटल का खाना खाने से, गरीब का तमाशा तो बनेगा पर न तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बोट बढ़ने बाले हैं और न ही गरीबों व किसानों का भला होनेबाला है और उन्हें अपनी माता जी को समझाना चाहिए कि उनकी विदेश यात्राओं पर किये गए हजारों करोड़ रूपये के फिजूल खर्च से देश के लाखों गरीबों व किसानों का उद्वार हो सकता है वे स्वयं व अपने मंत्रियों से भी फिजूल खर्च पर रोक लगाने के लिए दबाब बनायें |
          भाजपा को भी अपनी सरकारों को हिदायत देनी चाहिए कि समय कि मांग को देखते हुए बे ईमानदारी से गरीब व किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें जैसे कि छत्तीसगढ़, गुजरात व मध्य प्रदेश में लिए गए हैं साथ ही सरकार आने के बाद सभी पहलुओं की जाँच कराने व दोषियों को बख्शा नहीं जाने का वायदा भी जनता से करना चाहिए | सरकारी व प्राइवेट मिडिया के कांग्रेस की विज्ञापन कम्पनी की तरह काम करने के लिए आलोचना की जानी चाहिए और विभिन्न सामाजिक पहलुओं विशेषकर देश से जुड़े संवेदनशील विषयों पर उनकी भूमिका पर उठने वाले सवालों की भी जाँच का वायदा देश से करना चाहिए और आज मिडिया में बड़ते भ्रस्टाचार पर भी अंकुश लगाने का वायदा जनता से करना चाहिए |  




Friday 1 July 2011

"सोनिया मैडम भारत छोडो"

         अंग्रेजों के अत्याचार के विरुद्ध साबरमती के संत ने किया था आहबान "अंग्रेजो भारत छोड़ो" और अब कांग्रेसियों के अत्याचार के विरुद्ध मुटेरा के संत ने नारा दिया है "गोरी मैडम भारत छोड़ो"
तो ये लाइनें सार्थक होंगी :- 
मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल, मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल ||
विना खड़ग विना तलवार तुने एक ही वार में कर दिया कांग्रेस को लालमलाल
चारों तरफ कूद कूद मचा रहे धमाल, रो रो कर कर दिया सबने बुरा हाल
मैडम और मुने की चापलूसी के संघर्ष में तोड़ दिए दुनिया के सारे रिकार्ड
मोटे मोटे विज्ञापन लेकर चैनलों पर हल्ला मचा रहे मिडिया के बिके हुए चंद दलाल
पर तुमने न तो है किसी कि परवाह और न ही तुन्हें किसी बात का मलाल
क्योंकि तेरे भगतों की तुममें श्रद्वा और विश्वास अपरंपार, फिर दल्ले क्या पाएंगे विगाड़  
मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल, मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल ||
देशद्रोहियों के लिए "Freedom of speech" चिला चिला कर दुहाई देने बाले ये बदमाश
संतों को धमकी "चुप रहो नहीं तो घूसने नहीं देंगे" देकर कर रहे लोकतंत्र को शर्मशार
जैसे दिल्ली इनका ससुराल और सारा देश बाप दादा की जायदाद, बाकि सब तड़ीपार
ऐसे में तेरी मीठी वाणी से निकली भयंकर हुंकार और बुरी तरह घायल है इटली की सरकार 
मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल, मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल ||   
संविधान व लोकशाही से उठ कर तानाशाही में जम चूका कांग्रेस का विश्वास
देश आज हो रहा है अघोषित आपातकाल का शिकार, जनता कर रही हाहाकार
गरीबों की रोटी छिनी, देश का धन लुटा और किसानो की जमीने ली हैं मार
ऐसे में बाबा रामदेव, अन्ना और अब आपने सरकार को ललकार कर दिया लाचार 
मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल, मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल ||
तेरे नारे कि धार ने देशवासियों में नए खून नए जोश और नये विश्वास का कर दिया संचार           
देश कि जुडती संत शक्ति बाबा रामदेव, अन्ना और बापू को देख कर जनता का हो रहा है पक्का विश्वास
कि काले अंग्रेजों व गोरी मैडम से दूसरी लड़ाई में आजादी प्राप्त करके रहेगा युवा भारत संसार
मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल, मुटेरा के संत तुने कर दिया कमाल ||

"भारत के संतो तुमने कर दिया कमाल, भारत के संतो तुमने करा दिया कमाल" 

"भारत माता की जय - बन्दे मातरम"








Tuesday 28 June 2011

अन्ना जिद छोड़ो और संगठित संघर्ष करो

अशोक ठाकुर 
      अन्ना हजारे की स्थिति कमोबेश बैसी ही है जैसी की आजादी की लड़ाई में सभी नरम या गरम दल तो गाँधी के आन्दोलनों को देश हित में समर्थन देते थे क्योंकि अनके लिए तो देश अपने सिद्धांतों यहाँ तक कि अपने शरीर से बढकर था  इसीलिए वे देश के लिए हँसते हँसते फांसी पर चढ़ जाते थे | परन्तु गाँधी जी अपने सिद्धांतों व मूल्यों को देश हित से ज्यादा तवज्जो देकर अन्य आन्दोलनों का समर्थन नहीं करते थे भले ही बह भगत सिंह व उसके साथियों का जेल के अंदर शांतिपूर्ण व अहिसंक अनशन ही क्यों न हो | आज गाँधी की तरह ही अन्ना को देश से ज्यादा अपने सिद्धांत व मूल्य नजर आ रहे हैं और वे बाबा रामदेव के विना शर्त समर्थन को भी इंकार कर रहे हैं जबकि बाबा उनके द्वारा अपने ऊपर की गयी अनावश्यक गलत टिप्पणी को भी नजर अंदाज कर देश हित में १६ अगस्त के आन्दोलन को समर्थन देने को त्यार हैं और कह रहे हैं की व्यक्ति नहीं मुद्दा महत्पूर्ण है और ऐसा पहले दो बार जन्तर मन्तर व राजघाट पर समर्थन दे चुके हैं अन्ना जी और उनके साथी शायद भूल रहे हैं कि आज उनको मिलने वाले जन समर्थन का एक बड़ा कारण बाबा रामदेव जी का जन जागरण अभियान ही है जिसमे उन्होंने देश कि १० करोड़ जनता को प्रत्यक्ष तथा ५० करोड़ को अप्रत्यक्ष रूप से संबोधित किया है  नहीं तो बाबा रामदेव के जनजागरण अभियान से पहले अनशन कर लेते तो अंतर समझ में आ जाता और अन्ना का बडपन होता कि वे पहले संसद मार्ग (जंतर मंतर कि सभा) में ऍफ़ आई आर दर्ज करने के दौरान अपनी धोषणा के अनुसार बाबा रामदेव के पहले से घोषित ०४ जून के अनशन को समर्थन देते न कि अलग गुट बनाकर उससे पहले एक और मोर्चा खोल कर संघर्ष कि धारा को बाँट कर कमजोर करने का काम करते और न जाने ऐसा किसके कहने या इशारे पर हुआ | पर जो कुछ भी हुआ ठीक नहीं हुआ और अब सारा आन्दोलन बंटा हुआ नजर आ रहा है हमारे जैसे लाखों लोग असमंजस की स्थिति में हैं | कभी अन्ना ठीक नजर आते हैं और कभी रामदेव | अब अन्ना को अपने फालतू के सिद्धांतों व मूल्यों को एक तरफ रखकर भगवान कृष्ण व आचार्य चाणक्य के मार्ग दर्शन को ध्यान में रखते हुए देश हित को सर्वोपरी मान कर बाबा रामदेव के साथ कंधे से कन्धा मिलकर संगठित संघर्ष करना चाहिए क्योकि ये बहुत बड़ी लड़ाई है और बड़े ताकतवर लोगों के बिरुद्ध संघर्ष है वे बड़े ही धूर्त और चालाक भी है वे सत्ता और पैसे के नशे में मशरुग होकर अपने आस्तित्व के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं उसका ट्रेलर हमने रामलीला मैदान में देख ही लिया है और अन्ना ये समझ लें कि बुरी शक्तियाँ अपने स्वार्थों की शिद्धि के लिए जल्दी संगठित होती हैं और सिविल सोसायटी में छिपे कुछ जयचंद व मान सिंह उनके काम को और आसान बना देते हैं जबकि अच्छे लोग अपने सिद्धांतों व मूल्यों की लड़ाई में फंसे रहते हैं और संगठित होकर नहीं लड़ते हैं जैसे की आज बाबा रामदेव और अन्ना के बीच हो रहा है तथा ये भी समझ लें कि  ये ४०० लाख करोड़ के मालिक हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रहेंगे | अत: हमें आजादी कि दूसरी लड़ाई में बिना बलिदान के सफलता मिलने बाली नहीं है इस संघर्ष में युवाओं को बलिदान के लिए त्यार रहने का भी आह्वान करना होगा और सारी उर्जा एक जगह लगाकर इस भ्रष्टाचारी तंत्र को उखाड़ फैंकना होगा यही समाज और देश हित में है |