आजकल राहुल उत्तर प्रदेश के कि गरीबों व किसानों के बड़े हमदर्द बने हुए हैं और उनकी गरीबी व शोषण को लेकर काफी चितिंत हैं और चिंता इतनी ज्यादा है कि उनको शारीरिक व मानसिक रूप से काफी कमजोरी आ गई है यहाँ तक की उनकी याददास्त भी काफी कमजोर हो गयी है नहीं तो उन्हें ये जरुर याद होता की वे कुछ वर्ष पहले विदर्भ के एक किसान के घर पुरे मिडिया के लावलश्कर के साथ गए थे और सारे देश ने यह तमाशा देखा था और बाद में बही किसान गरीवी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हुआ था उसकी गरीबी तो दूर नहीं हो सकी पर उसकी गरीबी का तमाशा जरुर बन गया | ऐसे अनेक उदहारण हैं जहाँ गरीबों व दलितों की झोंपड़ी व दयनीय स्थिति को कांग्रेस के राजकुमार के प्रचार के लिए तमाशा बनाकर पेश किया जा रहा है आखिर देश जानना चाहता है कि आज तक ६४ साल तक यह गाँधी खानदान के प्रतिनिधित्व के वावजूद अमेठी व रायवरेली के गरीबों की गरीबी क्यों दूर न हो सकी तथा वह उत्तर प्रदेश के अन्य क्षेत्रों से क्या अलग कर सका आज भी मैडम व उनके सुपुत्र को वहां अत्यंत गरीब तमाशा बनाने के लिए मिल जाते हैं केंद्र व कांग्रेस शासित राज्यों में गरीबों की हालात क्या उत्तर पदेश से ज्यादा अच्छे है और अगर नहीं हैं तो राजकुमार साहब ने इनके लिए कुछ क्यों नहीं किया आखिर वहां उनको कौन रोक रहा है नॉएडा से भी नजदीक गुडगांब में उनके प्रिय मुख्यमंत्री हुड्डा साहब ने हड्सरू के किसानों की जमींन कोडियों के भाव सरकारी आवश्यकता वता कर छीन ली थी और आगे दलालों की तरह रिलायंस को बेच दी थी जिसमें भारी पैसे का लेनदेन हुआ था और कुलदीप विश्नोई हिस्सा न मिलने से खफा होकर पार्टी छोड़ गए थे वहां विरोध करने पर किसानों पर जो अत्याचार हुए उनके सामने तो भट्टा परसौल कुछ भी नहीं है क्यों न हरियाणा में पिछले पांच बर्षों के भूमि अधिग्रहण की जाँच स्वतंत्र आयोग से करबाई जाये | केंद्र ने ये जानते हुए भी की भूमि अधिग्रहण कानून का दुरूपयोग हो रहा है परमाणु करार की ही तरज पर इस कानून में भी बदलाब क्यों नहों किया गया और कांग्रेस के राजकुमार दिल्ली से बहार तो उछलकूद करते हैं और घर आकर अपनी मम्मी से डरकर चुप बैठ जाते हैं तो ईमानदारी पर प्रश्न उठाना सभाविक ही है क्योंकि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि हम क्या कहते है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि हम व्यवहार में करते क्या हैं
उमा जी ने ठीक ही कहा है कि उत्तर प्रदेश में नाटक करने से अच्छा तो ये है कि पहले दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री व अपनी मम्मी को समझा कर अंग्रेजों के बनाये भूमि अधिग्रहण के काले कानून को समाप्त कर नया कानून लायें जो किसानों के हितों की भी सुरक्षा करता हो | क्योंकि बह ज्यादा आसानी व ईमानदारी से किया जा सकता था और अपनी बात को अमल में लेट हुए कांग्रेस शासित राज्यों जैसे कि हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान व आन्ध्र आदि में उनकी सरकार द्वारा वेची गयी जमींन को किसानों को वापस दी जाये और उनकी महाराष्ट्र, आंध्र व अन्य कांग्रेस शासित राज्यों कि सरकारों के नाक तले मर रहे किसानों की सुध लें | किसानों को लेकर बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के सुझाबों पर बातें नहीं बल्कि अमल करें जोकि देश के लिए समय कि जरूरत और देशवासियों की मांग है इसी से देश के गरीबों व किसानों का भला भी संभव है |
अन्यथा राजकुमार साहब ये समझ लें की अब लोग उतने नासमझ नहीं हैं जितने की उनकी दादी के समय थे और वे सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मिडिया के कुछ दलों के साथ मिलकर क्या खेल खेल रही हैं इन नाटकों जैसे कि हाथ में बच्चा पकड़ाकर फोटो खींचवाना और गरीब कि झोंपड़ी में बैठकर पांच सितारा होटल का खाना खाने से, गरीब का तमाशा तो बनेगा पर न तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बोट बढ़ने बाले हैं और न ही गरीबों व किसानों का भला होनेबाला है और उन्हें अपनी माता जी को समझाना चाहिए कि उनकी विदेश यात्राओं पर किये गए हजारों करोड़ रूपये के फिजूल खर्च से देश के लाखों गरीबों व किसानों का उद्वार हो सकता है वे स्वयं व अपने मंत्रियों से भी फिजूल खर्च पर रोक लगाने के लिए दबाब बनायें |
भाजपा को भी अपनी सरकारों को हिदायत देनी चाहिए कि समय कि मांग को देखते हुए बे ईमानदारी से गरीब व किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें जैसे कि छत्तीसगढ़, गुजरात व मध्य प्रदेश में लिए गए हैं साथ ही सरकार आने के बाद सभी पहलुओं की जाँच कराने व दोषियों को बख्शा नहीं जाने का वायदा भी जनता से करना चाहिए | सरकारी व प्राइवेट मिडिया के कांग्रेस की विज्ञापन कम्पनी की तरह काम करने के लिए आलोचना की जानी चाहिए और विभिन्न सामाजिक पहलुओं विशेषकर देश से जुड़े संवेदनशील विषयों पर उनकी भूमिका पर उठने वाले सवालों की भी जाँच का वायदा देश से करना चाहिए और आज मिडिया में बड़ते भ्रस्टाचार पर भी अंकुश लगाने का वायदा जनता से करना चाहिए |
उमा जी ने ठीक ही कहा है कि उत्तर प्रदेश में नाटक करने से अच्छा तो ये है कि पहले दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री व अपनी मम्मी को समझा कर अंग्रेजों के बनाये भूमि अधिग्रहण के काले कानून को समाप्त कर नया कानून लायें जो किसानों के हितों की भी सुरक्षा करता हो | क्योंकि बह ज्यादा आसानी व ईमानदारी से किया जा सकता था और अपनी बात को अमल में लेट हुए कांग्रेस शासित राज्यों जैसे कि हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान व आन्ध्र आदि में उनकी सरकार द्वारा वेची गयी जमींन को किसानों को वापस दी जाये और उनकी महाराष्ट्र, आंध्र व अन्य कांग्रेस शासित राज्यों कि सरकारों के नाक तले मर रहे किसानों की सुध लें | किसानों को लेकर बाबा रामदेव व अन्ना हजारे के सुझाबों पर बातें नहीं बल्कि अमल करें जोकि देश के लिए समय कि जरूरत और देशवासियों की मांग है इसी से देश के गरीबों व किसानों का भला भी संभव है |
अन्यथा राजकुमार साहब ये समझ लें की अब लोग उतने नासमझ नहीं हैं जितने की उनकी दादी के समय थे और वे सब जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस मिडिया के कुछ दलों के साथ मिलकर क्या खेल खेल रही हैं इन नाटकों जैसे कि हाथ में बच्चा पकड़ाकर फोटो खींचवाना और गरीब कि झोंपड़ी में बैठकर पांच सितारा होटल का खाना खाने से, गरीब का तमाशा तो बनेगा पर न तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बोट बढ़ने बाले हैं और न ही गरीबों व किसानों का भला होनेबाला है और उन्हें अपनी माता जी को समझाना चाहिए कि उनकी विदेश यात्राओं पर किये गए हजारों करोड़ रूपये के फिजूल खर्च से देश के लाखों गरीबों व किसानों का उद्वार हो सकता है वे स्वयं व अपने मंत्रियों से भी फिजूल खर्च पर रोक लगाने के लिए दबाब बनायें |
भाजपा को भी अपनी सरकारों को हिदायत देनी चाहिए कि समय कि मांग को देखते हुए बे ईमानदारी से गरीब व किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लें जैसे कि छत्तीसगढ़, गुजरात व मध्य प्रदेश में लिए गए हैं साथ ही सरकार आने के बाद सभी पहलुओं की जाँच कराने व दोषियों को बख्शा नहीं जाने का वायदा भी जनता से करना चाहिए | सरकारी व प्राइवेट मिडिया के कांग्रेस की विज्ञापन कम्पनी की तरह काम करने के लिए आलोचना की जानी चाहिए और विभिन्न सामाजिक पहलुओं विशेषकर देश से जुड़े संवेदनशील विषयों पर उनकी भूमिका पर उठने वाले सवालों की भी जाँच का वायदा देश से करना चाहिए और आज मिडिया में बड़ते भ्रस्टाचार पर भी अंकुश लगाने का वायदा जनता से करना चाहिए |
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