गीता ने कहा है कि सतयुग में यदि मर्यादा पुरषोतम भगवान् राम सार्थक थे तो महाभारत काल में भगवान् कृष्ण ही सार्थक થે अन्यथा वे ही फिर से अवतरित होते न कि कृष्ण और भगवान् कृष्ण ने गीता के माध्यम से समझाया कि समय व कालके अनुसार धर्म के मापदंड भी बदल जाते हैं | जहाँ तक वर्तमान का प्रश्न है तो कलयुग के इन भ्रस्टाचारियों को मिटाने के लिए बाबा रामदेव जैसा धार्मिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से सक्षम संत ही चाहिए है अन्यथा संत निगमानंद जैसे स्वर्ग सिधार जाते और कोई पूछता भी नहीं | आज करोड़ों लोगों के समर्थन के बावजूद रामलीला मैदान में जो तांडव हुआ उससे बाबा रामदेव तो अपने सामाजिक व आर्थिक आधार के बल पर बच गए और एक बार फिरखड़े होकर लड़ने के लिए तयार हैं अन्यथा कोई और होता तो सदा के लिए समाप्त हो जाता | गीता ने साफ़ कहा है अधर्म का नाश करने के लिए यदि मार्ग से थोड़ा इधर उधर जाना हो तो जाओ मगर लक्ष्य साफ़ व पाक होना चाहिए |
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