Ashok Thakur

Saturday 2 May 2020

माफ़ी के लायक़ नहीं है जफरुल इस्लाम का देश विरोधी ब्यान

         

    

      दिल्ली के मुख्यमंत्री श्रीमान अरविन्द केजरीवाल के चहेते एवं  दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम का एक बेहद आपतिजनक एवं देश विरोधी ट्विट आया है | इसपर देशभर में कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है कुछ लोगों ने इसको शर्मनाक, तो कुछ ने इसे बेतुका और बचकाना ब्यान कहा है | राष्ट्रिय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों ने भी इसपर कड़ी प्रतिक्रिया दी है | एक भाजपा ने जफरुल इस्लाम को घटिया और जहरीली सोच का व्यक्ति बताया और उसको तुरंत पद से हटाने की मांग की है | भाजपा के विधायकों ने भी उपराज्यपाल से मिल कर जफरुल इस्लाम को आयोग के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है दिल्ली विश्वविद्यालय के लगभग 169 प्रोफ़ेसरों ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जफरुल के देश विरोधी ब्यान के लिए कड़ी निंदा की है और उसे आयोग के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करने की मांग की है | अनेक मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी जफरुल इस्लाम के ब्यान की कड़ी भर्त्सना की है | 

     यदि हम जफरुल इस्लाम के ब्यान के मायने ठीक से समझना चाहते हैं तो जफरुल इस्लाम के इतिहास को खंगालना पड़ेगा | जफरुल इस्लाम मुसलमानों का गढ़ कहे जाने बाले जिला आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के रहने बाले मौलाना साहब के बेटे हैं जो एक इस्लामिक विचारक थे और दिल्ली में सुन्नी इस्लामिक केंद्र चलाते थे इनकी प्रारंभिक शिक्षा मदरसे से हुई और इन्होंने दारुल उलूम नदवतुल उलमा की शिक्षा मिश्र के काहिरा में स्थित सुन्नी इस्लामी शिक्षा के सबसे प्रतिष्ठित अल-अजहर विश्वविद्यालय से ग्रहण की है | अपनी पीएचडी इस्लामी स्टडीज में मेनचेस्टर विश्वविद्यालय से पूरी की है अपनी शिक्षा के बाद भी जफरुल इस्लाम सुन्नी इस्लामी शिक्षा के अलग-अलग केन्द्रों से जुड़े रहे हैं लन्दन आधारित दा मुस्लिम इंस्टिट्यूट, जिसने ब्रिटिश मुसलमानों की मुस्लिम पार्लियामेंट की स्थापना की थी, से जुड़े रहे थे | मुस्लिम पार्लियामेंट की स्थापना में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है | अरब और अरबी भाषा से गहरा लगाव है अल-जजीरा एवं बीबीसी (अरबी) से जुड़े हैं इन्होने न केवल इस्लाम में हिज्रह एवं पलेस्टाइन डॉक्यूमेंट लिखे हैं बल्कि अरबी अख़बारों में नियमित लिखते रहते हैं | इन्होने अपने शोध में भारत के आतंकवाद में मुस्लिमों की संलिप्तता को पूरी तरह नकार दिया है | ऐसा करके उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को अप्रत्यक्ष संरक्षण देने का काम किया है । जो उनकी वहाबी सोच का परिचायक है ।   
        इसलिए मेरा उन सभी बंधुओं से आग्रह है इनके इस ब्यान को भूलवस, अनजाने या नासमझी में दिया गया समझने की भूल न करें और न ही उसे बेतुका व बचकाना ब्यान समझने की गलती करें | जफरुल इस्लाम ने चौतरफा दबाब पड़ने पर भले ही अपने ब्यान के लिए माफ़ी मांग ली हो | लेकिन उनका ये ब्यान उनकी पृष्ठभूमि, शिक्षा, शोध, सोच एवं भारत में इस्लामिक गतिविधियों की भविष्य योजना के अनुरूप है | अपनी माफ़ी माँगने के दौरान मीडिया को धमकी देना भी उनकी कट्टरवादी सोच का परिचायक है । अरब देशों, अरबी भाषा और सुन्नी इस्लाम में उनकी गहरी निष्ठा है वो भारत में नहीं बल्कि ब्रिटेन में भी इस्लामिक राज्य की स्थापना का मंसूबा रखते हैं जिसके संकेत मुस्लिम इन्स्टिटूट के कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश मुस्लिम पार्लियामेंट की स्थापना के द्वारा उन्होंने काफी पहले ही दे दिए थे |       
       उनका पहला आरोप लगाना कि भारत में धर्म के आधार पर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं उनकी लीचिंग हो रही है उनके खिलाफ नफरत भरी मुहीम चलाई जा रही है या उनका मुस्लिम होने की बजह से उत्पीड़न हो रहा है उनके पुराने लेखों से मेल खाता है और एक सोची समझे रणनीति के तहत दिया गया लगता है उनका मानना कि अरब देश इसका विरोध कर रहे है और उनका भारतीय मुसलमानों का साथ देने के लिए कुवैत सरकार का धन्यवाद देना भी भविष्य योजना का हिस्सा लगता है | उनका कहना कि अगर भारतीय मुसलमानों ने अरब देशों से इसकी शिकायत कर दी तो अरब देश उनके साथ मिलकर भारत पर हमला कर देंगे और भारत को बर्बाद कर देंगे और जाकिर नाइक, जोकि आज की तारीख में भारत और बांग्लादेश के घोषित अपराधी एवं वांछित आतंकवादी है, से उनके गहरे संबंध दिखाई देते हैं उनके साथ जफरुल इस्लाम ने इस्लाम की बहुत सेवा की है और जाकिर नाइक और उनका अरब देशों में बड़ा प्रभाव है तबलीगी जमात से भी इनका नाता गहरा लगता है शायद इसमें भारत के कट्टरवादी मुसलमानों के लिए कोई छिपा सन्देश है | शायद वो किसी बड़े काम को अंजाम देना चाहते हैं जिसमें उन्हें जाकिर नाइक जैसे कट्टर इस्लामिक उपदेशकों का साथ मिलने की उम्मीद है | ये भी शायद देश के अन्दर और बाहर कुछ चुनिन्दा लोगों को सन्देश देने का प्रयास दिखाई देता है | 
       मुझे लगता है कि केजरीवाल साहब भी अब दिल्ली से बाहर राजनैतिक जमीन तलाशने का कोशिश कर रहे हैं इसलिए देश के 20 करोड़ से ज़्यादा मुस्लिम वोट बैंक पर उनकी नज़र है उत्तर प्रदेश और बिहार में मुलायम और लालू का प्रभाव लगभग ख़त्म हो गया है मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि जफरुल इस्लाम के माध्यम से केजरीवाल देश के मुसलमानों में अपना प्रभाव जमाने की सोच रहे हैं और मुसलमानों को भी आज इसकी दरकार है । इसके अलावा यूरोप और अमेरिका से राजनैतिक चंदा मिलना कम हो गया है जफरुल इस्लाम, मौलाना साद और ज़ाकिर नाइक का अरब देशों में अच्छा प्रभाव है इन देशों से इनकी गतिविधियाँ चलाने के लिये काफ़ी आर्थिक मदद मिलती है जिसका लाभ केजरीवाल साहब उठाना चाहते हैं | इनके माध्यम से शायद वो अरब देशों को संदेश देना चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी भारत में उनके हितों की रक्षा कर सकती है | इसके साथ-साथ दिल्ली के दंगों में आम आदमी पार्टी और विचारधारा से जुड़े अनेक लोग पकडे गए हैं और मौलाना साद पर भी गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है शायद ये ब्यान उनको बचाने के लिए भी जफ़रुल इस्लाम के माध्यम से केंद्र सरकार पर दबाब बनाने के लिये दिलवाया गया मालूम होता है ये सब भविष्य में उपरोक्त का समर्थन हासिल करने की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है । इसके अलावा कोरोना संकट में दिल्ली सरकार की विफलताओं से भी लोगों का ध्यान बाँटने का एक प्रयास दिखाई देता है | इसका मतलब है कि केजरीवाल एक तीर में अनेक निशाने लगाना चाह रहे हैं | मुझे इन सब कारणों से ऐसे समय में जफरुल इस्लाम से इस तरह का ब्यान दिलाया गया प्रतीत होता है |  
      अब जफरुल इस्लाम के शांति दूतों अर्थात तबलीगी और अन्य वहाबी सोच वाले मुसलमानों के उत्पीड़न की कहानी सुन लीजिये | कुछ दिन पहले ही ये पीड़ित मुस्लिम भाई देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर आतंक मचा रहे थे लोगों पर हमला कर सरकारी संपत्तियों को जला रहे थे  इन हमलों में उन्होंने पुलिस और आम आदमी को बड़ी संख्या में घायल किया | फिर दिल्ली की सड़कों पर कब्ज़ा कर लिया और आम लोगों अर्थात हिन्दुओं की आवाजाही को कुछ क्षेत्रों में पूरी तरह रोक दिया | जब उनको भारी तकलीफ का सामना करना पड़ा तो न्यायालय की शरण में गए | इन शांति दूतों ने सरकार और माननीय उच्चतम न्यायालय का आदेश मानने से इन्कार कर दिया | जब हिन्दुओं का एक तबका पुलिस से रास्ता खोलने की मांग करने चौराहे पर एकत्रित आये तो इन शांति दूतों ने उनपर हथियारों, पथ्थरों और पट्रोल बमों से हमला कर दिया | तीन दिन तक दिल्ली की सड़कों पर आतंक मचाते रहे | सरकारी संपतियों, हिन्दुओं की गाड़ियों, मकानों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया | जो सामने आया मौत के घाट उतार दिया | सैंकड़ों घायल हुए और लगभग 56 लोग मारे गए | उनको बचाने गए सैंकड़ों पुलिसकर्मी को घायल कर दिया | अब इन महानुभाव से कोई पूछे कि इस पुरे घटनाक्रम में मुसलमान पीड़ित कौन था और पीड़ित करने बाला कौन दिखाई देता है 
      इसी दौरान अचानक पूरी दुनिया अचानक कोरोना अपने पैर पसार लेता है चीन के वुहान शहर के हालात बता रह थे कि ये कितना भयावह है भारत सरकार ने भी देश के नागरिकों को इस महामारी से बचाने के लिए संपूर्ण तालाबंदी की घोषणा कर दी  लेकिन तबलीगी जमात के लोग उसको मानने से मना कर देते हैं | मरकज भवन निजामुद्दीन में खुले आम भारत एवं दिल्ली सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं देश के अनेक राज्यों और दुनिया भर के देशों के हजारों जेहादी किस्म के मुसलमानों मकरज भवन में मौलाना साद के आदेश पर धार्मिक गतिविधियाँ जारी रखते हैं | प्रशासन के कई दिनों के संघर्ष के बाद इनको भवन से बाहर निकालने में सफलता मिलती है और इनमें अधिकतर कोरोना संक्रमित निकलते हैं | देश में आधे से ज्यादा संक्रमित मरीज तबलीगी जमात से जुड़े हुए हैं जब सरकार इनका इलाज करना चाहती है तो ये इलाज में लगे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला कर देते हैं कभी उनपर थूकते हैं और उनको संक्रमित करने का प्रयास करते हैं और कभी उनसे अभद्रता से पेश आते हैं | दिल्ली ही नहीं देश के अनेक शहरों मुंबई, इंदौर, मुजफ्फरनगर, बेंगलुरु, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुजफ्फरपुर और जयपुर इत्यादि स्थानों पर मुसलमान न केवल सरकारों नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं बल्कि उनकी इलाज और सुरक्षा में लगे डाक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों एवं सुरक्षाकर्मियों पर हमला भी करते हैं | कुछ तो सब्जी, फल और अन्य खाद्य पदार्थ बेचने के दौरान खाद्य बस्तुओं को थूक लगाते मिलते हैं | अब रमजान के नाम देशभर में सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं |
             अब कोई इन महानुभाव जफरुल इस्लाम से पूछे कि देश में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं कोरोना जैसी इस भयानक महामारी से लड़ने में सभी सरकारों का सहयोग कर रहे हैं फिर इन मुसलमानों को इस तरह की हिंसा, जहिलाना हरकतें, गुंडागर्दी और संक्रमण फैलाने की क्या ज़रूरत है | उपरोक्त घटनाक्रम से स्पष्ट नजर आता है कि पूरा देश इन मुसलमानों से पीड़ित है और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष उल्टा हिन्दुओं और प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं ये तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ हो रही है | वो क्यों नहीं समझते की अगर जाहिलाना हरकत करेंगे तो लोग सवाल भी उठाएंगे और मजाक भी बनायेंगे | कोई और जाति-पंथ के लोग ऐसी हरकतें करते तो उनके साथ भी ऐसा ही होता और होना भी चाहिए | ऐसे लोगों को हतोत्साहित करने के लिए सामाजिक बहिष्कार ही सबसे उपयुक्त रास्ता है आख़िर लोग इनके कारण अपना जीवन क्यों खतरे में डालें | इनकी बजह से अच्छे लोगों को कष्ट सहना पड़ रहा होगा | जिसके लिए किसी और को दोष नहीं दिया जा सकता है |
     मैं जफरुल इस्लाम को चुनौती देता हूँ कि उनका इस्लाम इतना सक्षम है तो आह्वान करें अपने मुस्लिम देवताओं का  और अपने मौलाना, क़ाज़ी, दरबेश, पीर, फकीर, औलिया इत्यादि का, जाकिर नाइक जैसे पाखंडियों का कि अगर इतने ही पहुँचे हुए हैं और मुसलमानों को कोरोना से किसी प्रकार का ख़तरा नहीं होने का दम भरते हैं तो अपने बिलों से बाहर आएँ और अपना चमत्कार दिखलाएँ । करोड़ों मुसलमानों को इस्लामी विचारधारा के नाम पर लुटने, बरगलाने और अरबों-खरबों की संपत्ति खड़ी करने, मौलाना साद की तरह ऐसो -आराम छोड़कर बाहर आएँ । आपने जिन गरीब, अनपढ़ मुसलमानों को कोरोना से मरने के लिए छोड़ दिया है | उन कोरोना मरीजों का इलाज करें । आज इरान, तुर्की और युएई और अन्य अरब देशों में हजारों मुसलमान कोरोना से मारे जा रहे हैं कोई मौलाना, मौलवी, साद और जाकिर ठीक करने नहीं आ रहा है बल्कि खुद को बचाने के लिए भूमिगत हो गए हैं | मेरी कान खोलकर सून लो । आपको और इन सभी ग़रीबों को मरने से अगर कोई बचा सकता है तो केवल और केवल डाक्टर एवं नर्सें हैं | फिर इन सबको उनपर हमले करने के लिए उकसाना क्या अपराध नहीं है | ये न केवल कानून की नज़र में बल्कि मानवता के प्रति भी अपराध है | जिसकी इनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए | मुझे ख़ुशी है कि अनेक मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इनकी कड़ी भर्त्सना की है |
          अल्पसंख्यक आयोग जैसे संविधानिक पद पर बैठकर जफरुल इस्लाम झूठ फैला रहे हैं और जो झूठ, पाखंड और अंधविश्वास  फैलाने बाले मानवता के दुश्मनों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं | भारत को उन अरब देशों की धमकी दे रहे हैं जो अपनी समस्याओं को हल करने के एडियाँ रगड़ रहे हैं पूरा अरब जल रहा है पकिस्तान, अफगानिस्तान से लेकर सीरिया और फिलिस्तीन तक चारों तरफ अशांति ही अशांति है हाहाकार है मानवता चीत्कार रही है | लाखों लोग आतंक के कारण प्राण गवां चुके हैं | महान विचारक जफरुल इस्लाम साहब भारत के मुसलमानों के उत्पीड़न की छोडिये | वहां मुसलमान को मुसलमान मार रहा है इतनी नफरत, हिंसा और अशांति है आप और जाकिर नाइक वहां जाकर उपदेश क्यों नहीं देते हैं अरे ये तो भारत है अहिंसा और शांति तो यहाँ के लोगों की नस-नस में है मुसलमानों के सभी फिकरे अगर किसी देश में बचे हैं तो बह केवल भारत देश है | हमको आपके किसी उपदेश और सरंक्षण की जरूरत नहीं है और जफरुल भाई आप जैसे लोग ऐसा देश विरोधी ब्यान भारत में रहकर ही दे सकते हो | अगर ऐसा देश विरोधी ब्यान किसी भी अरब देश में दे देते | तो अभी तक आपका सर कलम कर दिया गया होता या चौराहे पर खड़े पथ्थरों से मार दिए जाते और आपके मित्र कह रहे होते “कि कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को” |
          लेकिन ये आपका कसूर नहीं है इस देश में एक बहुत बड़ा तबका है जो इसी देश का खाता है और इसी देश को तोड़ने की बात करता है केजरीवाल जैसे कुछ नेता है जो अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए आप जैसे देश-द्रोह की बाते करने बालो को पालते-पोषते हैं | इतिहास इस बात का गवाह है कि भारत कभी दुश्मन से नहीं हारा है | अगर हारा है तो देश के जयचंद, मान सिंह और जय सिंह जैसों की बजह से हारा है | लेकिन अब भारत जाग चूका है वो आपको इस घृणित कार्य के लिये माफ़ नहीं करेगी । आपके इन कृत्यों के लिए देश का कानून और देश की जनता आपको और आपको संरक्षण देने बाले को जरुर सजा देगी और केजरीवाल जैसे नेताओं को भी अवश्य सबक सिखाएगी | ऐसा मेरा विश्वास है | जय हिन्द       

3 comments:

  1. भारत को 'गजवा ऐ हिंद' बनाने की ओर प्रयास/प्रयोग है जिसमे तुरंत प्रभावित ढंग से कार्यवाही बिना विलंब के करने की अत्यंत अनिवार्य है।

    ReplyDelete