Ashok Thakur

Monday 18 May 2020

नेफेड निदेशक अशोक ठाकुर ने कोरोना संकट के दौरान केजरीवाल सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये |


 
 Ashok Thakur, Director, NAFED
    पहले लोग चोरी, अपराध, बेईमानी अथवा भ्रष्टाचार करने के लिए योजना बनाते थे और बाद में उससे बचने के रस्ते तलाशते थे लेकिन दिल्ली सरकार के साथ प्याज और दाल के लेन-देन के दौरान कुछ आश्चर्यजनक अनुभव सामने आये हैं | केजरीवाल सरकार की विशेषता यह है कि वह गलत काम करने से पहले ही उससे बचने की योजना बना लेती है और उन हथकंडों का उपयोग जनता को भ्रमित करने के लिये करती है | कुछ ऐसे ही अनुभव हमारे सामने आये हैं उस संबंध में हमें ब्लॉग इसलिए लिखना पड़ रहा है क्योंकि बड़े-बड़े विज्ञापनों के दबाव में कोई भी अखबार ना तो हमारा पक्ष लेने को और ना ही हमारे भेजे हुआ पक्ष को छापने को तैयार है | 
     कोरोना महामारी के दौरान भारत सरकार ने गरीबों को राहत पहुँचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के सभी राज्यों को मुफ्त दाल देने के आदेश दिये हैं | नेफेड के कर्मचारियों ने लॉकडाउन में अनेक अडचनों के बाबजूद युद्ध स्तर पर काम करते हुए राज्यों को दाल पहुँचाने का काम किया और नेफेड ने दिल्ली सरकार को भी उसके अप्रैल और मई महीने के कोटे की दाल 01 किलो प्रति व्यक्ति प्रति माह के हिसाब से भेजने का काम किया नेफेड ने दिल्ली सरकार को अप्रैल महीने का कोटा दुसरे हफ्ते में देना प्रारंभ कर दिया था | योजना के अनुसार अगर ये दाल गरीब एवं मजदूरों को समय पर मिल जाती तो उनपर दवाब कम होने से पलायन का खतरा नहीं होता लेकिन शायद केजरीवाल सरकार ये नहीं चाहती थी लॉकडाउन के तुरंत बाद भी मज़दूरों में भ्रम फैलाने, बिजली-पानी की आपूर्ति बाधित करने एवं डीटीसी की बसों द्वारा उन्हें आनंद विहार बस अड्डा तथा यूपी बार्डर पर छोड़ने के आरोप आम आदमी पार्टी के नेताओं पर लगे हैं | पहला दिल्ली सरकार नहीं चाहती थी कि ग़रीब मज़दूरों का पलायन रुके और दूसरा मुफ्त दाल बाँटने से दालों के दामों पर असर पड़ना था जो केजरीवाल नहीं चाहते थे क्योंकि इससे उनके चहेते दाल स्टॉकिस्टों को नुकसान हो सकता था | अत: उन्होंने दोनों उदेश्यों की पूर्ति के लिए एक पंथ दो काज की तर्ज पर ग़रीबों के दाल वितरण को रोकने की योजना बनाई और साथ ही दोष से बचने के लिए करते रास्ते भी तलाशना प्रारंभ कर दिए | उनकी इस योजना को आप निम्नलिखित तथ्यों से भली प्रकार जान जायेंगे |         
     नेफेड ने दाल सौंपने के समय SOP (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर ) का पूरा पालन किया है और दाल सौंपते समय दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को ना केवल उसकी गुणवता की फिजिकल जाँच करवाई है बल्कि उस समय तय नियमों के तहत दाल के नमूने भी लिये थे | इस काम के लिए नेफेड ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित संस्थाओं में से एक SGF को चुना है | वे नमूने एवं उनकी जाँच रिपोर्ट आज भी सुरक्षित हैं इस पूरी प्रक्रिया के दौरान दिल्ली सरकार दाल की गुणवता अथवा मात्रा को लेकर पूरी तरह संतुष्ट थी
     दिल्ली सरकार को इस दाल का वितरण अप्रैल महीने के अन्दर करना था | दिल्ली सरकार के खाद्य एव आपूर्ति विभाग ने पूरी दाल अपने गोदामों से राशन दूकानदारों तक पहुंचा भी दी थी | लेकिन अचानक राशन दुकानदारों को वितरण करने से रोक दिया | फिर 13 अप्रैल 2020 को दिल्ली सरकार ने अचानक SOP के नियमों का उल्लंघन करते हुए और नेफेड की अनुपस्थिति में दाल के कुछ नमूने लिये | शायद ये भविष्य में दिल्ली की जनता को गुमराह करने की रणनीति का हिस्सा था | इन नमूनों की जाँच रिपोर्ट आने के बाद दिल्ली सरकार ने नेफेड को जानकारी दी जिसका जबाब नेफेड ने उसी दिन दिल्ली सरकार को भेज दिया था और बता दिया था कि ये नमूने लेने में SOP का उल्लंघन किया गया है अत: नेफेड इनको मानने के लिए बाध्य नहीं है 
  अगर दिल्ली सरकार को नमूने लेने भी थे तो दाल को अपने गोदामों से हस्तांतरण करने से पहले और SOP के नियमों के तहत नेफेड के प्रतिनिधि की उपस्थिति में लेने चाहियें थे लेकिन आपने ऐसा नहीं किया अत: आप तुरंत प्रभाव से गरीबों में दाल वितरित करने का काम प्रारंभ करें अन्यथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का उदेश्य पूरा नहीं होगा | आज गरीब मजदूरों की इसकी अत्याधिक आवश्यकता है लेकिन उन्होंने जब इसको वितरित करने से मना किया तो नेफेड ने योजना के मूल उदेश्यों की पूर्ति की मंशा से दाल के उस हिस्से को बदलने की सहमती दी | लेकिन आप सभी को यह जानकर आश्चर्य होगा कि दिल्ली सरकार जिस दाल के स्टॉक की बात कर रही थी उस स्टॉक के बारे में उसको जानकारी ही नहीं थी | इसके बाद दिल्ली सरकार 15 से ज्यादा दिनों तक स्टॉक ढूंढने का नाटक करती रही | क्योंकि उनके पास खराब दाल का स्टॉक था ही नहीं | अंतत: लगातार आग्रह के बाद भी दाल बापिस नहीं की गयी | दबाब देने पर उन्होंने 114 दुकानों की सूची नेफेड को दी और नेफेड ने रिकॉर्ड समय में दाल बदल कर दे दी | परन्तु उसके एक दिन बाद 16 मई 2020 को दिल्ली सरकार ने अखवारों के माध्यम से नेफेड पर गीली और फुफुंदी लगी दाल सप्लाई करने के आरोप लगाये | परन्तु दिल्ली वासियों को जानकर आश्चर्य होगा कि जिन नमूनों की जाँच रिपोर्ट का हवाला देकर गीली और फुफुंदी लगी दाल सप्लाई करने के आरोप लगाये हैं उस जाँच रिपोर्ट में कहीं भी दाल के गीली होने अथवा फुफुंदी लगी होने का जिक्र नहीं है मैं जिस रिपोर्ट का जिक्र कर रहा हूँ उसके नमूने, जाँच करने बाली संस्था और जाँच रिपोर्ट तीनों दिल्ली सरकार की हैं परन्तु उनके आरोप उनकी अपनी जाँच रिपोर्ट से मेल नहीं खाते हैं क्या ये मजाक नहीं है इसलिए दिल्ली सरकार द्वारा झूठे और निराधार आरोप लगाना अनैतिक, दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है मेरे केजरीवाल सरकार से कुछ गंभीर सवाल हैं:-
  1.    पहला केंद्र सरकार के गरीब मजदूरों के लिए किये गए ईमानदार प्रयासों पर केजरीवाल सरकार पानी फेरने पर क्यों तुली है | आखिर अत्याधिक आवश्यकता के समय गरीबों की सहायता रोक कर क्या हासिल करना चाहती हैं | वो क्यों चाहते हैं कि मजदुर दिल्ली छोड़कर चले जाएँ
  2.     दूसरा अगर दाल की गुणवता में कोई कमी थी तो दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने दाल सौंपने के समय बोलना चाहिए था और उस समय लिए गए नमुनों की जाँच करानी चाहिए थी | अलग से नमूने क्यों लिए गए | उसके बाद भी अगर कोई गड़बड़ी नजर आयी थी तो नेफेड को इसकी सुचना देनी चाहिए थी | ऐसा क्यों नहीं किया गया |     
  3.      तीसरा दिल्ली सरकार को 13 अप्रैल 2020 को अचानक नेफेड की अनुपस्थिति में चोरी से दाल के नमूने क्यों लिए | अगर दिल्ली सरकार की मंशा ठीक थी तो उनको इसकी जानकारी नेफेड को देनी चाहिए थी और नमूने लेने के लिये SOP (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) का पालन करना चाहिए था आखिर ऐसा क्यों नहीं किया गया 
  4.     चौथा दिल्ली सरकार एवं दिल्ली सरकारी राशन डीलर संघ के सचिव एवं केजरीवाल के चहेते सौरभ गुप्ता ने नेफेड की दाल के गीली एवं फुफुंदी लगी होने के जो आरोप लगाये | तो दिल्ली सरकार ने आरोप लगाने से पहले अपनी जाँच एजेंसी की रिपोर्ट को क्यों नहीं पढ़ा | आपको मालुम होना चाहिए कि दिल्ली सरकार के आरोप उनके अपने 13 अप्रैल 2020 के नमूनों की रिपोर्ट से मेल नहीं खाते हैं उन नमूनों की रिपोर्ट में दाल के गीली होने अथवा उसमें फुफुंदी लगी होने का कहीं पर भी जिक्र नहीं है |   
  5.     पांचवा दिल्ली सरकार ने दाल के जिस स्टॉक के नमूने लिए थे उसको संभाल कर क्यों नहीं रखा और जब नेफेड ने दाल बदलने के लिए कहा तो उनको दाल ढूंढने में 15 से 20 दिन क्यों लग गए | आखिर इस देरी की क्या बजह है ? 
  6.     छठा दिल्ली सरकार को ये पता होना चाहिए कि आपूर्ति करने वाली संस्था की जिम्मेदारी केवल सामान सौंपने तक की होती है वो दिल्ली सरकार के गोदामों अथवा गोदामों से राशन दुकानों पर दाल पहुँचाने के दौरान होने वाली किसी भी गड़बड़ी, मिलावट अथवा अनियमितता के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकती है उस प्रक्रिया के दौरान किसी भी गड़बड़ी अथवा अदला-वदली के लिए तो दिल्ली सरकार स्वयं ही जिम्मेदार होगी | ये जानते हुए भी आपने ये आधारहीन आरोप क्यों लगाये ?  



     इसलिए उपरोक्त तथ्यों से सपष्ट हो जाता है कि सभी आरोप झूठे एवं निराधार है वे तथ्यों एवं सच्चाई से दूर हैं आरोप किसी छुपे हुए एजेंडे के तहत लगाये गए हैं | मेरा केजरीवाल साहब से आग्रह है कि वे और उनके लोग इस तरह की घटिया एवं ओछी राजनीति न करें इससे किसी का भला नहीं है इस सब के लिए लोग एक दिन उनको जरुर सबक सिखायेंगे | अगर वो दाल का वितरण रोक कर अपने कुछ निजी दाल व्यापारियों एवं राशन दलालों को लाभ पहुँचाना चाहते हैं अथवा ग़रीबों के खिलाफ साजिस रच कर उनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं तो ये उनका सरोकार है उन्हें इसमें अन्य संस्थाओं को नहीं घसीटना चाहिए |

    आपने दिल्ली के अन्दर भोजन वितरण के दौरान किस तरह की घटिया दाल एवं खिचड़ी उपलब्ध कराई है | इस बात से पूरी दिल्ली भली-भांति परिचित है आपने राशन बाँटने में कितनी गड़बड़ियाँ की हैं किस तरह लाखों लोगों को भूख के डर से दिल्ली छोड़कर भागना को मजबूर हुए हैं आपने बिजली पानी की आपूर्ति बाधित कर किस तरह लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर किया | आपके विधायकों एवं नेताओं ने लॉकडाउन के दौरान भोजन वितरण में भ्रष्टाचार के करने के लिए किस तरह अधिकारीयों पर दबाव बनाया है किस तरह एक नौजवान डाक्टर को आत्महत्या करनी पड़ी है और आपके एक विधायक उसके लिए क्यों जेल जाना पड़ा है आपके अपने डाक्टर, नर्स एवं स्वास्थ्य कर्मचारी किन हालात में काम कर रहे हैं अस्पतालों में मरीजों के साथ कैसा बर्ताव हो रहा है ये सब हम भी जानते हैं लेकिन हम इन सब पचड़ों में नहीं पड़ना चाहते | हम अपनी दाल की गुणवता की जाँच कराने के लिए हमेशा तैयार हैं आप हमारे साथ चलकर कहीं भी और कभी भी नमूने ले सकते हैं हम आपकी आपर्ति के नमूने भी सार्वजनिक करने को तैयार हैं | क्योंकि हम जानते हैं कि हमारी दाल की गुणवता उच्च दर्जे की है | लेकिन आपकी नियत में खोट है जिसको हम ठीक नहीं कर सकते हैं |  

     आज देश और दुनिया बड़े संकट काल से गुजर रही है और आज गरीब मज़दूरों को इस दाल की अत्याधिक आवश्यकता है इसीलिए हमने आरोप गलत होने की बाबजूद दाल बदलने का प्रस्ताव स्वीकार किया था | हमारी प्रतिबद्धता आपसे लड़ने की बजाय गरीबों तक दाल पहुँचाने की है और आपसे भी हाथ जोड़कर निवेदन है कि उनका हक़ उन तक तुरंत पहुंचाने का कष्ट करें | ताकि हम इस कोरोना महामारी के गंभीर संकट में गरीब मजदूरों को मदद मिल सके और उनका अनावश्यक पलायन रुक सके | जय हिन्द-जय भारत 

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