Ashok Thakur

Saturday 4 April 2020

तबलीगी के जाहिल जमातियों के साथ निपटने का सही तरीका ?

     आज कोरोना वायरस ने पुरे विश्व को हिला कर रख दिया है | हमने अपने पौराणिक ग्रन्थों, रामायण एवं महाभारत में ये तो पड़ा था कि ऐसी-ऐसी राक्षस शक्तियाँ होती थी जो दुश्मन पर हमला करते हुए दिखाई नहीं देती थी और पूरी सेना को तबाह करने में सक्षम थीं | परन्तु मन में कभी ये कल्पना भी नहीं की थी कि कोई एक छोटा सा न दिखाई देने वाला वायरस अमेरिका जैसे आधुनिकतम  हथियार से लैस वैश्विक महाशक्ति को बिना किसी हथियार के ही घुटनों पर ला देगा और न केवल अमेरिका बल्कि पूरे यूरोप को, जो एक समय पुरे विश्व पर राज करता था | परन्तु अब तो ये हकीकत है और कोरोना वायरस ने दुनिया की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांति लाने वाले देशों अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी इत्यादि के हालात दुसरे विश्वयुद्ध से भी ज्यादा भयावह बना दिए हैं और इनकी आबादी का घनत्व भी भारत के मुकाबले बहुत कम है ऐसे समय में भारत भी अपनी सीमित संसाधनों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है और 01 अप्रैल 2020 तक भारत दुनिया की सबसे घनी आवादी होने के बाबजूद कोरोना की इस जंग में विश्व के अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर करता दिखाई दे रहा था | भारत सरकार एवं राज्यों सरकारों के अथक प्रयासों से कोरोना को सामाजिक स्तर पर फ़ैलने से रोकने में काफी हद तक सफलता पा ली थी परन्तु अचानक तबलीगी जमात के धर्मान्ध समर्थकों के कारण सारी मेहनत पर पानी फिर गया इसके बाबजूद सरकार उनका सही इलाज करना चाहती है और ये ज्यादा न फैले उसका भी इंतजाम करना चाहती है परन्तु वे जमाती जाहिल और बेहूदा हरकते कर रहे हैं | यहाँ तक की डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ को भी नहीं बक्श रहे हैं |

     अत: भारत सरकार एवं अन्य राज्यों की सरकारों को मेरा सुझाव है कि निजामुद्दीन के मरकजी भवन से निकाले गये तवलीगी जमात से जुड़े लोगों को उसी भवन में क्वारनटाईन अथवा आईसोलेट किया जाना चाहिए | उनका ब्रेन इतना वाश किया जा चुका है कि उन्हें जेहाद के अलावा न तो कुछ सुनाई देता है और न ही दिखाई देता है |जब इंसान खुद को मिटाने पर तुल जाता है तो उसका व्यवहार स्वभाविक ही जाहिलों जैसा और बेहूदा हो जाता है | इनके व्यवहार तथा हाव भाव से लगता है कि ये पूरी तरह जाहिल हो चुके हैं और चलते-फिरते कोरोना के बम हैं | ये जहां भी जायेंगे या जहाँ भी रहेंगे ये अपनी परवाह किये बगैर चारों ओर कोरोना वायरस को फैलाने का काम करेंगे और ना ही इन्हें किसी कानुन का डर है | ये न केवल आम आदमी के लिए बल्कि अन्य मुसलमानों के लिए भी बड़ा खतरा हैं | इसलिए इनको अन्य मरीजों एवं नागरिकों से तुरंत अलग किया जाना आवश्यक है | इनका कोरोना ग्रसित सदस्यों का इलाज भी अन्य मरीजों से अलग जगह करना चाहिए | यदि मरकजी भवन में जगह काम पड़े तो इन्हें अन्य बड़ी मस्जिदों के खाले पड़े हालों, कमरों अथवा मदरसों में क्वारटाईन के लिए रखा जाना चाहिए और उनके ही कर्मचारियों को इनकी देखभाल में लगाया जाना चाहिए | क्योंकि वहां ये न तो इस तरह से थूकेंगे और न ही जाहिलों जैसी हरकत करेंगे और यदि करेंगे भी तो आम आदमी का बचाव रहेगा || इनका सारा खर्च भी तबलीगी जमात से बसूला जाना चाहिए और सरकार इनकी देखभाल में जो पैसा खर्च करने जा रही है उसे अन्य जरुरतमंदों मरीजों पर खर्च किया जाना चाहिए |

अशोक ठाकुर
निदेशक, नैफेड (नामित भारत सरकार) 

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