Ashok Thakur

Tuesday 21 April 2020

कोरोना संकट के दौरान सामने आया केजरीवाल सरकार का संवेदनहीन चेहरा

          वैसे तो पिछले पांच बर्षों में केजरीवाल सरकार के अनेक क़दमों पर सवाल उठे हैं और आम जनता से उनकी चालाकी भरे फैसलों की एक लम्बी फेरहिस्त है | लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के संकट काल में केजरीवाल सरकार का ऐसा संवेदनहीन चेहरा सामने आया है | जिसे देखकर सब लोग दांग रह जायेंगे | यूँ तो मैं अपने मित्रों की इस मौके पर राजनीति नहीं करने की बात से सहमत हूँ परन्तु जब मैंने देखा की केजरीवाल सरकार ने गरीब, मजदुर, संक्रमित और अन्य नागरिकों से छल और झूठ की सारी हदें पार कर दी हैं अत: इसपर लिखना आवश्यक समझा अन्यथा इसके परिणाम भोली-भाली जनता को भुगतने पड़ेंगे और पद रहे हैं |
          जहां एक तरफ केंद्र सरकार कोरोना वायरस के संक्रमण फ़ैलने की खबर मिलते ही हरकत में आ गयी | पहले विदेशों में फंसे हजारों भारतीय नागरिकों को देश लाकर उनके पृथकवास एवं उचित इलाज का काम युद्ध स्तर पर किया | यहां तक कि आवश्यकता पड़ने पर चार्टर्ड प्लेन का सहारा लेने से सरकार नहीं हिचकिचाई | दुनिया के अन्य देशों में बढ़ते घोर संक्रमण को देखकर 21 दिन की तालाबंदी घोषित की गयी जिसे बाद उसे 19 दिन बढ़ाकर 3 मई तक लागू कर दिया ताकि यह संक्रमण आम लोगों तक न पहुँचे | लेकिन मुझे ये कहते हुए कतई भी संकोच नहीं है कि कोरोना संक्रमण को रोकने में केंद्र सरकार की सभी पहल की सफलता और असफलता का पूरा दारोमदार राज्य सरकारों के कामकाज एवं क्रियान्वन पर निर्भर करता है | फिर वह चाहे सरकार के फैसलों को जमीनी स्तर पर लागू करना हो या नागरिकों को विश्वास में लेकर उन्हें घरों में सीमित रखना हो, शारीरिक दुरी बनाये रखने के साथ-साथ जरूरतमंदों को खाद्य बस्तुएं उपलब्ध कराना हो या संभावित मरीजों को पृथकवास की सुविधा प्रदान करना हो और संक्रिमित नागरिकों को उचित इलाज की सुविधा मुहिया कराना हो | लेकिन दिल्ली सरकार सभी मोर्चों पर असफल रही है जिन सरकारों ने तालाबंदी को ईमानदारी से लागु वहां संक्रमण नियन्त्रण में है |
     अत्यंत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि दिल्ली सरकार कोरोना महामारी जैसे इस भयंकर संकटकाल में भी मानवीय मूल्यों को एक तरफ रखकर केवल और केवल राजनीति कर रही है | वास्तविक कार्य निष्पादन की वजाय चालाकी और धूर्तता का सहारा लिया जा रहा है | जैसा कि हम जानते हैं कि तालाबंदी की घोषणा के साथ ही दिल्ली सरकार पर लोगों को मुलभुत सुविधाएं प्रदान करनी की जिम्मेदारी आयी है | दिल्ली में लाखों की संख्या में गरीब दिहाड़ी मजदुर रहते हैं जो रोज कमाने-खाने वाले हैं और अचानक उनपर अन्न का संकट आ गया है | हमने ये भी देखा है कि दिल्ली सरकार ने लोगों के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा रखी है परन्तु जब हमने जमीन पर क्रियान्वन न के बराबर है | इसी लिए एक महानुभाव ने माननीय न्यायालय से हस्ताक्षेप की गुहार लगाई जिसपर दिल्ली सरकार ने न्यायालय में 4 लाख लोगों को प्रतिदिन भोजन उपलब्ध कराने की बात कही है इसके अलावा विना राशन कार्ड बालों के लिए अस्थाई राशन कूपन देने की घोषणा की है | जिसकी हकीकत हम आप निम्न आंकड़ों से समझ जायेंगे |
         सबसे पहले आपको इस हकीकत को समझने के लिए केजरीवाल सरकार के राशन कार्ड के खेल को समझना होगा | वर्ष 2012-13 में कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली में कुल 34 लाख 35 हजार परिवारों के पास राशन कार्ड थे केजरीवाल सरकार ने सत्ता में आते ही दिल्ली के 14 लाख 85 हजार कार्ड धारक परिवारों के नाम उड़ा दिए | जिसका मतलब है कि लगभग 56 लाख गरीबों की राशन सुविधा समाप्त हो गयी जो उनको हर माह मिलती थी और 31 मार्च 2016 क्र आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में मात्र 19 लाख 50 हजार राशन कार्ड धारक रह गए | सन 2016 के बाद के आवेदनों पर राशन कार्ड जारी नहीं किये और अगर जारी भी हुए तो केवल आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता या विधायकों के खास लोगों को | जिनकी संख्या भी नाममात्र के बराबर है | इसलिए तालाबंदी के समय लगभग 60 लाख गरीब एवं मजदुर लोग राशन कार्ड की सुविधा से वंचित हैं जोकि सरकार की किसी भी  योजना में शामिल नहीं हैं अर्थात केंद्र सरकार ने जो राशन गरीबों के लिए भेजा है उनको नहीं मिल पायेगा | अगर हम दिल्ली सरकार के 4 लाख गरीब मजदूरों को खाना खिलाने की बात मान भी लें तो बाकि 56 लाख लोगों का क्या होगा | इसका उनके पास कोई जबाब नहीं है 
     जब न्यायलय का दबाब आया तो दिल्ली सरकार ने तुरंत अस्थाई राशन कूपन जारी करने की घोषणा की गयी | जिसका बड़े पैमाने पर  प्रचार भी किया गया | लेकिन इसमें दिल्ली सरकार ने जो किया उसको सुनकर आप हैरत में पड़ जायेंगे | पहला दिल्ली सरकार की वेबसाइट का सर्वर ही काम नहीं करता है और हेल्प लाइन न० लगातार सलंग्न आता है उदाहरण के लिए रोहिणी निवासी श्री संतोष दिवेदी पिछले 15 दिनों से प्रयास कर रहे हैं उन्हें सफलता नहीं मिली है  दूसरा रजिस्ट्रेशन के लिए एंड्राइड मोबाइल की आवश्यकता है जो वास्तविक गरीबों के पास उपलब्ध ही नहीं है तीसरा 30 मार्च या उसके बाद आवेदन करने वाले हजारों लोगों को आजतक राशन कूपन जारी नहीं  किया गया है और न ही बताने को तैयार है कि आज तक दिल्ली सरकार ने कितने अस्थाई राशन कूपन जारी किये हैं | चौथा अब उनका हाल सुनिये जिनको अस्थाई राशन कुपन जारी किया गया है जैसे कि वंदना त्रिपाठी निवासी राजीव नगर, बेगमपुर को वितरण केंद्र प्राइमरी स्कूल सराय काले खां गाँव दिया गया है जोकि उसके निवास स्थान से 35 कि० मि० दूर है ऐसे ही सेक्टर-16, रोहिणी के निवासी श्री कलीम खान को अलीपुर का वितरण केंद्र दिया गया है  जो उसके घर से लगभग 15 कि० मि० दूर है ऐसे हजारों मामले हैं जिनके साथ अस्थाई कूपन के नाम पर धोखा हुआ है | परिणाम स्वरूप देश की राजधानी दिल्ली में लोग घास खाने को मजबूर हैं ।
      अब वितरण केन्द्रों का हाल जान लीजिये | भोजन की उपलब्धता भी लगातार कम की जा रही है जिसके कारण काफी लोग बिना भोजन ही लौट जाते हैं दूसरा आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता एवं उनके समर्थकों को वरीयता दी जाती है आम जनता मुंह ताकती रह जाती है फिर भोजन की गुणवता भी दिन-प्रतिदिन गिरती जा रही है और उसमें भ्रष्टाचार चरम पर है और न जाने कितने फर्जी बिल बन रहे हैं ये तो भविष्य ही बताएगा | मेरा एक सवाल केजरीवाल साहेब से है कि अगर दिल्ली सरकार गरीब जनता को मुफ्त भोजन उपलब्ध करा रही है तो फिर हजारों सामाजिक संस्थाओं, भाजपा एवं कांग्रेस जैसे राजनैतिक दलों एवं दिल्ली पुलिस लाखों की संख्या में किन दिल्लीवासियों को भोजन करा रहे हैं
       दिल्ली सरकार के अधिकतर अधिकारी फोन या मोबाईल पर उपलब्ध ही नहीं हैं ज्यादातर लोग 100 न० पर काल करते हैं तो उनकी मदद थानाध्यक्ष स्थानीय सामाजिक संस्थाओं से मिलकर कर रहे हैं दिल्ली सरकार नदारद है अगर इनको दिल्ली सरकार के भरोसे छोड़ देते तो ये कब के भूखे मर जाते | मेरा केजरीवाल साहेब से सवाल है कि अगर वो गरीबों को भोजन करा रहे हैं तो सामाजिक संस्थाएं, सेवा भारती, स्थानीय पुलिस, भजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता किन लोगों को लाखों की संख्या में भोजन करा रहे हैं | यहां ये बताने की जरूरत नहीं है कि दिल्ली सरकार के ज्यादातर अधिकारी भारी दबाब में हैं आम आदमी पार्टी के नेता इस मौके को अपनी पार्टी और अपनी जेब भरने का अवसर मान रहे हैं | ऐसा भी सुनने में आया है कि दिल्ली सरकार के एक विधायक के दबाब में आकर तो एक डाक्टर ने आत्महत्या कर ली है आरोप है कि ये विधायक महोदय उस पर मरीजों के रहने एवं खाने की सुविधायों से समझौता कर पैसा देने के लिए दबाब बना रहे थे | अभी हम इसपर टिप्पणी करना उचित नहीं समझते है क्योंकि इस मामले की जाँच चल रही है मुझे उम्मीद है कि उसकी जाँच निष्पक्षता से होगी | लेकिन इन आरोपों की पुष्टि करने बाला एक वीडियो आज जहांगीरपूरी के रहने वाले एक परिवार की बिटिया प्रतिभा गुप्ता ने सोशल मीडिया पर डाला है जिसमें इस बच्ची ने एलएनजेपी अस्पताल में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया है ऐसा ही एक वाक्य आंबेडकर अस्पताल में श्री श्यामपाल सिंह के साथ भी घटा है और न जाने सैंकड़ों ऐसे उदहारण होंगे जिनमें इलाज के नाम पर दिल्ली सरकार का भ्रष्टाचार और छलावा नजर आता है |
      ऐसा ही हाल दिल्ली सरकार का तालाबंदी और संक्रमण की जाँच का है या इस काम में लगे डॉक्टर एवं सवास्थ्य कर्मियों को पर्सनल प्रोटेक्टिव किट उपलब्ध कराने का है जिसके कारण वे अपनी पूरी शक्ति के साथ मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे हैं | जिसके कारण कोरोना का संक्रमण भी लगातार फैल रहा है और मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है |
      उपरोक्त सभी कारणों की बजह से चंद ही दिनों में ही दिल्ली के गरीबों एवं मजदूरों को असुरक्षा और भूख का डर सताने लगा | सामान्य परिस्थितियों में कोई भी इंसान अपनी जान को जोखिम में डालने जैसा बड़ा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करता है चाहे वो कितना ही अनपढ़ या अज्ञानी क्यों न हो | लेकिन दिल्ली में मजदूरों को अहसास हो गया कि दिल्ली सरकार के सभी निर्णय केवल दिखावा हैं हकीकत कुछ और है और अगर वे ज्यादा दिन यहाँ रुके तो उन्हें न केवल भूखों मरना पड़ेगा बल्कि गाँव के मुकावले संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा है | इसलिए वे दिल्ली छोड़ने के लिए कुलबुलाने लगे | अब आप सबको यह जानकर हैरानी होगी कि आम आदमी पार्टी सरकार ने उस डर को समाप्त करने की वजाय उल्टा अपने नेताओं के माध्यम से मजदूरों को भटकाना प्रारंभ कर दिया | ख़बर यह भी है कि गरीबों एवं मजदूरों में घबड़ाहट बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बिजली एवं पानी सप्लाई को बाधित किया | अंतत: मजदूरों व गरीबों का धैर्य जबाब दे गया और हजारों-लाखों की संख्या में आनद विहार, आईएसबीटी एवं दिल्ली बॉर्डर की ओर पलायन करने लगे | दिल्ली सरकार ने उनको ऐसी गलती करने से रोकने की वजाय डीटीसी की बसों में भर-भरकर बॉर्डर एरिया में छोड़ दिया कुछ के लिए योगी सरकार ने बसों की व्यवस्था की लेकिन अनेक मजदुर तो बेचारे पैदल ही गावों को चल दिए | कोरोना जैसे वायरस के संक्रमण को देखते हुए ये नजारा भयावह था अगर भीड़ में एक भी संक्रिमत मरीज घुस जाता तो भारत का हाल अमेरिका की गरीब बस्तियों से भी ज्यादा खराब हो सकता था | संक्रमण को रोक पाना असंभव था | ये वास्तव में अपराधिक कृत्य था लेकिन एक कहावत है कि "अगर बाढ़ ही खेत को खाने लगे तो फिर उसे कौन बचा सकता है" ठीक उसी प्रकार केजरीवाल सरकार पर जिन लोगों को बचाने की जिम्मेदारी थी उन्होंने उनके ही जीवन को खतरे में डाल दिया |

           दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार के साथ झूठ और फरेब का सहारा लेकर जनता को छ्लने का काम कर रही है जो अत्यंत निंदनीय है | मैं पूछना चाहता हूँ केजरीवाल साहेब से कि कहां हैं उनकी मुहल्ला सभाएं | आज जिनकी सख्त आवश्यकता है क्योंकि जिलाधिकारी या एसडीएम् वास्तविक गरीबों का पता नहीं लगा सकते हैं | जबतक की वे स्थानीय जनता के प्रतिनिधि, पुलिस, धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं और उनके स्वयं सेवकों को साथ लेकर काम नहीं करेंगे | आज के संकटकाल में सरकार और समाज को केन्द्रित होकर काम करने की आवश्यकता है | जिसका स्पष्ट अभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है | केवल चैनलों पर वैठकर ब्यान देने से नहीं बल्कि लोगों के साथ लेकर ही तालाबंदी का प्रभावी क्रियान्बन किया जा सकता है और वही कोरोना जैसी महामारी को रोकने में कारगर हो सकता है अन्यथा इस सारी कवायद का हश्र वैसा ही होने वाला है जैसे कि आज दिल्ली में हो रहा है और कोरोना के संक्रमित मरीज एवं कोरोना हॉट-स्पॉट की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है मेरा पुन: माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि ये राजनीति का समय नहीं है हम सब जिन्दा रहेंगे तो राजनीति और अन्य बातें होती रहेंगी | अभी तो सबको साथ लेकर एक बृहद योजना के साथ तालाबंदी को लागू किया जाना अति आवश्यक है | परन्तु उसके लिए निति और नियत दोनों ठीक होना अत्यंत आवश्यक है | जय हिन्द

4 comments:

  1. इस समय इस तरह का कृत्य करना बहुत ही निंदनीय है
    दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार के साथ झूठ और फरेब का सहारा लेकर जनता को छ्लने का काम कर रही है जो अत्यंत निंदनीय है इस समय इस तरह का कृत्य करना बहुत ही निंदनीय

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  2. ऐसे भ्रष्टाचारी को तो सीबीआई को जेल भेजना चाहिए। सीबीआई वाले भी पैसे खा गए होंगे

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